कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अज्ञात व्यक्तियों द्वारा बोनट मकाक (बंदरों) के एक समूह को जहर देने और उनमें से 38 से अधिक की हत्या करने की घटना के संबंध में मीडिया रिपोर्टों पर स्वत: संज्ञान लिया।
बंदरों के शव बुधवार को कर्नाटक के हासन जिले के बेलूर तालुक के अरेहली होबली के चौडेनहल्ली में एक सड़क जंक्शन पर पाए गए।
मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति एनएस संजय गौड़ा की खंडपीठ ने कहा,
"हम महापंजीयक (न्यायिक) को बंदरों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका दायर करने का निर्देश देते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करना भी आवश्यक है कि इस तरह के अमानवीय और चौंकाने वाली घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है।"
याचिका पर मंगलवार (3 अगस्त) को सुनवाई होगी।
याचिका में कर्नाटक राज्य के वन विभाग के प्रधान सचिव, उप मुख्य वन संरक्षक, हासन जिले, हासन जिले के उप कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और पशु कल्याण बोर्ड के माध्यम से प्रतिवादी होंगे।
एडवोकेट श्रीनिधि वी ने राज्य सरकार की ओर से नोटिस लिया।
अदालत ने कहा,
"यह उचित होगा कि वह हासन जिले के डिप्टी कलेक्टर को पूरी घटना और अब तक की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट सौंपें। सुनवाई की अगली तारीख को अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश की जा सकती है।"
अदालत ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम ए नागराज और अन्य (2014) 7 एससीसी 547 में रिपोर्ट किए गए मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया। इस मामले में अदालत ने जानवरों के लिए स्वतंत्रता को मान्यता दी थी। वहीं भारत के संविधान के अनुच्छेद 51-ए (जी) और (एच) सहपठित जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम की धारा 3 और धारा 11, जो स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण में रहने के अधिकार और मनुष्यों से अनावश्यक दर्द या पीड़ा देने के खिलाफ सुरक्षा प्राप्त करने के अधिकार की गारंटी देता है।"
खबरों के मुताबिक बदमाशों ने पहले 50 बंदरों को कथित तौर पर जहर दिया। फिर उन्हें बोरियों में भरकर बेरहमी से पीटा और फिर चाउडेनहल्ली गांव के पास बोरियों को फेंक दिया।
हाल ही में, केरल हाईकोर्ट ने राज्य में एक कुत्ते की क्रूर हत्या का स्वत: संज्ञान लिया था।
मानव क्रूरता के शिकार कुत्तों की याद में केरल हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान मामले को "इन रे ब्रूनो" नाम दिया।
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