कर्नाटक हाईकोर्ट ने आरोपी द्वारा पीड़िता से शादी करने के आरोप में बलात्कार का मामला रद्द किया, कहा- वे आपसी सहमति से रिलेशनशिप में थे
कर्नाटक हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ बलात्कार का मामला रद्द कर दिया, बशर्ते उसने पीड़िता के साथ विवाह किया हो, जिसने दावा किया कि जब वह नाबालिग थी तब वे सहमति से रिलेशनशिप में थे। अब वयस्क होने के बाद एक-दूसरे से शादी करने का इरादा रखते हैं।
जस्टिस हेमंत चंदनगौदर की एकल न्यायाधीश पीठ ने चिक्कारेडप्पा द्वारा दायर याचिका स्वीकार कर ली और उन्हें एक महीने के भीतर पीड़िता से शादी करने और सक्षम प्राधिकारी के समक्ष रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 376(2)(एन) और POCSO Act, 2012 की धारा 6 के तहत दर्ज कार्यवाही भी रद्द कर दी।
यह आरोप लगाया गया कि आरोपी ने पीड़िता पर यौन उत्पीड़न किया था, जो घटना की तारीख तक नाबालिग थी। हालांकि, अदालत ने पीड़िता द्वारा दायर हलफनामे को ध्यान में रखा, जिसमें उल्लेख किया गया कि संबंध सहमति से बने थे।
इसके अलावा, मुकदमे में पीड़िता अपने एक्जामिनेशन-इन-चीफ में मुकर गई और क्रॉस एक्जामिनेशन में अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन करने के लिए कुछ भी नहीं मिला।
याचिकाकर्ता-अभियुक्त को न्यायिक हिरासत से पेश किया गया। उसने कहा कि वह पीड़िता के साथ विवाह करने को इच्छुक है और उनके बीच संभोग सहमति से हुआ था, क्योंकि वे रिलेशनशिप में थे।
इसके बाद अदालत ने कहा,
"आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से न्याय के उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी और यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।"
तदनुसार इसने याचिका स्वीकार कर ली।
अपीयरेंस: याचिकाकर्ता के लिए एडवोकेट अभय आर एस, आर1 के लिए एचसीजीपी थेजेश पी, आर2 के लिए एडवोकेट बसव प्रसाद कुणाले पेश हुए।
केस टाइटल: चिक्करेदप्पा और कर्नाटक राज्य और अन्य
केस नंबर: आपराधिक याचिका नंबर 7066/2023
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