कर्नाटक हाईकोर्ट ने 100 प्रतिशत ट्यूशन फीस वसूलने संबंधी प्राइवेट स्कूलों की याचिका पर नोटिस जारी किया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सभी श्रेणी के अनऐडेड (वित्त अपोषित) प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को बच्चों के माता पिता से शैक्षणिक सत्र 2019-20 की तरह ही सत्र 2020-21 में भी केवल 70 फीसदी ट्यूशन फीस लेने और कोई अन्य प्रभार संग्रहित न करने के संबंध में 29 जनवरी को जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति आर. देवदास की एकल पीठ ने नोटिस जारी करते हुए राज्य सरकार को 10 दिनों के भीतर अपना जवाब दायर करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि वह प्रतिवादियों द्वारा जवाब दायर करने के तत्काल बाद सुनवाई करेगा।
एडवोकेट जी आर मोहन के जरिये एसोसिएटेड मैनेजमेंट्स ऑफ प्राइमरी एंड सेकेण्ड्री स्कूल्स इन कर्नाटक (केएएमएस) की ओर से दायर एक याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता एसोसिएशन को शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों को वेतन के भुगतान के लिए 15 लाख रुपये चाहिए, जो विद्याथियों द्वारा फीस के तौर पर किये गये भुगतान पर ही निर्भर है। 3655 निजी अनऐडेड बजट स्कूल एसोसिएशन के सदस्य हैं, जिनमें 55 हजार शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारी एवं विद्यार्थी हैं।
इतना ही नहीं, यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता एसोसिएशन के सदस्य ये अनऐडेड प्राइवेट शिक्षण संस्थान अपने शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों के वेतन एवं अन्य लाभ दे पाने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि माता - पिता आज तक अपने बच्चों की फीस के भुगतान के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने आगे दलील दी है कि यदि प्राइवेट अनऐडेड स्कूलों का प्रबंधन शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों को वेतन और अन्य भत्तों का भुगतान नहीं करता है तो वे कोई और नौकरी की तलाश कर सकते हैं तथा जब केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा स्कूलो को फिर से पूरी तरह खोले जाने की अनुमति दी जायेगी तो ये प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान बुरी तरह प्रभावित होंगे।
प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधन को भविष्य निधि (पीएफ), ईएसआई बेनिफिट, विभिन्न प्रकार के कर, बिजली एवं पानी बिलों के भुगतान, सिक्यूरिटी सिस्टम के रखरखाव से संबंधित भुगतान करने हैं।
याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया है कि राज्य सरकार की ओर से 29 जनवरी को जारी अधिसूचना रिट याचिका 9855 / 2020 में 14 सितम्बर 2020 को हाईकोर्ट द्वारा जारी दिशानिर्देश तथा 'टीएमए पई फाउंडेशन एवं अन्य बनाम कर्नाटक सरकार' मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध है।
इसमें कहा गया है,
"यह आम जनता के हित में है कि अधिक संख्या में अच्छी गुणवत्ता के स्कूल स्थापित किये गये हैं। नियुक्तियों, छात्रों के नामांकन और वसूली जाने वाली फीस को लेकर स्कूल प्रशासन को स्वायत्ता दिये जाने और नियमों से मुक्त रखने से बेहतर गुणवत्ता के शिक्षण संस्थान की स्थापना सुनिश्चित हो सकेगी।"
याचिकाकर्ता ने अंतरिम राहत के तौर पर याचिका के निपटारे तक विवादित अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में प्राइवेट अनऐडेड स्कूलों को छह समान मासिक किस्तों में 100 प्रतिशत ट्यूशन फीस संग्रहित करने की अनुमति दी थी। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राजस्थान के स्कूलों की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर विचार करते हुए यह अंतरिम आदेश सुनाया था। इन स्कूलों ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें 70 फीसदी से अधिक ट्यूशन फीस न लेने का निर्देश दिया गया था।