कर्नाटक हाईकोर्ट ने सिविल कोर्ट अवमानना के ताज़ा मामलों को फाइल करने की स्क्रूटनी के संबंध में निर्देश जारी किया

Update: 2021-08-30 16:46 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने सिविल कोर्ट की अवमानना ​​के मामलों की ताजा फाइलों की स्क्रूटनी (जांच) करने के लिए कार्यालय की आपत्तियां उठाने के संबंध में रजिस्ट्री को निर्देश जारी किए। यह निर्देश सीसीसी संख्या 586/2021 में 11 अगस्त, 2021 के एक आदेश का हिस्सा हैं।

निर्देशों के संबंध में परिपत्र का प्रासंगिक पाठ नीचे दिया गया है:

*जब भी अवमानना ​​याचिका में यह आरोप लगाया जाता है कि राज्य सरकार के एक अधिकारी ने अपनी आधिकारिक क्षमता में इस कोर्ट के किसी आदेश का उल्लंघन किया है, तो यह उचित होगा कि कर्नाटक राज्य को एक प्रोफार्मा प्रतिवादी बनाया जाए। इससे सरकारी वकील आरोपी से संपर्क कर उनकी पैरवी कर सकेंगे। हम यह भी निर्देश देते हैं कि जब भी कर्नाटक राज्य को अवमानना ​​याचिकाओं में पक्षकार बनाया जाए तो कार्यालय की आपत्ति नहीं उठाई जाएगी।

*हम शिकायतकर्ता को कर्नाटक राज्य को प्रोफार्मा प्रतिवादी नंबर दो (आरोपी के रूप में नहीं) के रूप में अभियोग लगाने का निर्देश देते हैं। संशोधित प्रति आज से तीन सप्ताह के भीतर दाखिल की जाएगी। संशोधन को फिजिकल रूप से पेश करने के लिए हम आठ सप्ताह का समय देते हैं। याचिका की संशोधित प्रति सभी अनुलग्नकों के साथ विद्वान महाधिवक्ता के कार्यालय को उपलब्ध कराई जायएगी।

रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी सर्कुलर में प्रिंसिपल बेंच, बेंगलुरु, धारवाड़ और कलबुर्गी बेंच में कोर्ट की अवमानना ​​के मामलों (सिविल) की स्क्रूटिनी ब्रांच/पेंडिंग ब्रांच में कार्यरत अधिकारियों और अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे अदालत की अवमानना ​​के मामले (सिविल) ताजा फाइलें के मामले में उपरोक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन करें।

परिपत्र डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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