IMA मनी लॉन्ड्रिंग मामले के मुख्य अभियुक्त मंसूर खान को कर्नाटक हाईकोर्ट ने जमानत दी
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा एक मामले में आईएमए घोटाले के प्रमुख अभियुक्त मोहम्मद मंसूर खान को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार ने आरोपी को स्वास्थ्य आधार पर जमानत दी है। इसमें यह ध्यान में रखा गया कि खान वर्ष 2013 से डायबिटिक के मरीज़ है और वर्ष 2010 से हाइपर टेंशन से पीड़ित है और वह हृदय संबंधी समस्याओंं और अक्टूबर 2018 से स्पोंडिलोसिस से भी पीड़ित है।
उन्होंने कहा कि,
"मुख्य चिकित्सा अधिकारी (केंद्रीय कारागार, बेंगलुरु) ने भले ही कहा हो कि याचिकाकर्ता की स्वास्थ्य स्थिति (जेल में) स्थिर है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि याचिकाकर्ता जेल के अंदर उन बीमारियों से जूझना जारी रखे। निश्चित रूप से इस बीमारी में उसे निरंतर निगरानी की आवश्यकता होती है; जेल से बाहर मिलने वाला उपचार अलग स्तर का हो सकता है। यह ध्यान रखना उचित है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने स्पष्ट रूप से याचिकाकर्ता की पुरानी बीमारी की स्थिति के बारे में अवलोकन किया है। जमानत देने के लिए इस पहलू पर विचार किया जा सकता है। "
खान आईएमए के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। कई व्यक्तियों ने उक्त कंपनी में निवेश किया। एक मोहम्मद खालिद अहमद ने वाणिज्यिक स्ट्रीट पुलिस, बेंगलुरु को एक शिकायत की, जिसमें कहा गया कि कंपनी ने उनकी जमा राशि को वापस करने से इनकार कर दिया है। इसके बाद राज्य सरकार ने एक विशेष जांच दल का गठन किया और उसके बाद जाँच सीबीआई को हस्तांतरित कर दी गई।
जांच के दौरान यह सामने आया कि याचिकाकर्ता ने IMA समूह की कंपनियों द्वारा किए जा रहे मुनाफे के बारे में झूठी तस्वीर देकर 55,000 से अधिक लोगों से 4000 करोड़ रुपये एकत्र किए थे। तब हस्ताक्षरित वित्तीय वक्तव्यों और आईएमए ग्रुप ऑफ एंटिटीज के खातों की वास्तविक पुस्तकों के बीच 1,001.80 करोड़ रूपये की गड़बड़ी की ओर इशारा किया गया था। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने जांच अपने हाथों में ले ली और खान पर भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 409, 420, 120B और KPIDFE अधिनियम की धारा 9 और धन शोधन रोकथाम अधिनियम की धारा 3 के तहत आरोप लगाए।
अदालत ने अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए पांंच लाख रुपये की राशि के बॉन्ड और प्रस्तुत करने और इतनी ही राशि के दो ज़मानतदार पेश करने पर ज़मानत देने की अनुमति दी है।
कोर्ट ने निम्नलिखित शर्तें लगाई हैं:
* वह नियमित रूप से मुकदमे के समापन तक ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश होगा।
* वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा और न ही गवाहों को धमकी देगा।
* वह ट्रायल के समापन तक अपनी किसी भी संपत्ति को अलग नहीं करेगा और यदि कोई मामला अलग पड़ने की स्थिति में आता है, तो वह ट्रायल कोर्ट में उद्देश्य का खुलासा करेगा और ट्रायल
कोर्ट की अनुमति प्राप्त करेगा।
* ट्रायल के समापन तक वह एक पखवाड़े में एक बार प्रतिवादी के कार्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज करेगा, अधिमानतः सोमवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 12.00 बजे के बीच।
* वह बिना पूर्व अनुमति के ट्रायल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ेगा।
केस: मोहम्मद मंसूर खान और प्रवर्तन निदेशालय
केस नंबर: आपराधिक याचिका संख्या 4580/2020
आदेश की तारीख: 19 अक्टूबर 2020 के दिन
कोरम: जस्टिस श्रीनिवास हरीश कुमार
सूरत: याचिकाकर्ता के लिए अधिवक्ता सी.के.नंदकुमार
उत्तरदाताओं के लिए वकील मधुकर देशपांडे