कर्नाटक हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में समानता के आधार पर अभियुक्त को जमानत दी

Update: 2023-01-16 07:31 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी को यह देखते हुए जमानत दे दी कि उसके और अन्य लोगों के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं, लेकिन उसके खिलाफ कथित प्रत्यक्ष कार्य अन्य अभियुक्तों के समान है, जिन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है।

कोर्ट ने कहा,

"जांच अधिकारी द्वारा दायर चार्जशीट में याचिकाकर्ता सहित सभी आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है। माना जाता है कि वर्तमान याचिकाकर्ता के खिलाफ कथित ओवरट एक्ट आरोपी नंबर 2 और 3 के समान है। यह विवाद में नहीं है। आरोपी नंबर 2 और 3 पहले से ही जमानत पर छूटे हुए हैं। ऐसी परिस्थितियों में समानता का लाभ वर्तमान याचिकाकर्ता को दिया जाना चाहिए।"

अदालत ने यह भी कहा कि जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट भी दायर की जा चुकी है।

कोर्ट ने यह जोड़ा,

"इसलिए याचिकाकर्ता को हिरासत में रखने से उसके जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होगा।"

जस्टिस एम जी उमा की एकल न्यायाधीश की पीठ ने रवि उर्फ कामरान रवि को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता पर शिकायकर्ता के धनलक्ष्मी द्वारा 2020 में दर्ज कराई गई पहली सूचना के आधार पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 149 के साथ धारा 302, 120-बी के साथ धारा 302, 120-बी के तहत दंडनीय अपराध का आरोप लगाया गया।

उसने जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि वह निर्दोष है और जैसा कि आरोप लगाया गया है, उसने कोई अपराध नहीं किया। उसके वकील ने तर्क दिया कि उसे बिना किसी आधार के मामले में झूठा फंसाया गया। अदालत को बताया गया कि उसे 15.03.2020 को गिरफ्तार किया गया और तब से वह न्यायिक हिरासत में है।

अभियुक्तों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने प्रस्तुत किया,

"आरोपी नंबर 1 से 3 के खिलाफ लगाए गए आरोप उनके द्वारा किए गए प्रत्यक्ष कार्य के संबंध में समान हैं। हालांकि आरोपी क्रमांक 2 व 3 को पहले ही जमानत पर रिहा किया जा चुका है। इसलिए समानता के आधार पर याचिकाकर्ता जमानत पर रिहा होने का हकदार है।"

अभियोजन पक्ष ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता मुख्य आरोपी है।

सरकारी वकील ने कहा,

"चार्जशीट पहले ही दायर की जा चुकी है, जो याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध करने के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनाती है। अपराधों की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए याचिकाकर्ता जमानत देने का हकदार नहीं है।"

केस टाइटल: रवि @ कामरान रवि और कर्नाटक राज्य

केस नंबर: आपराधिक याचिका नंबर 11294/2022

साइटेशन: लाइवलॉ (कर) 15/2023

आदेश की तिथि: 05-01-2023

उपस्थिति: याचिकाकर्ता के लिए एडवोकेट राघवेंद्र गौड़ा के, एडवोकेट मोहनकुमार डी और प्रतिवादी के लिए एचसीजीपी के. राहुल राय पेश हुए।

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