काली पूजा : कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूरी तरह से वैक्सीनेट लोगों को पंडालों में प्रतिबंधित प्रवेश की अनुमति दी

Update: 2021-11-04 15:21 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने पिछले साल पांच नवंबर, 2020 के आदेश के तहत जारी निर्देशों को संशोधित करते हुए बुधवार को कहा कि सभी पूजा पंडाल नो-एंट्री जोन बने रहेंगे। इसमें सभी ओपन साइड पर पंडालों से परे पांच मीटर का क्षेत्र शामिल है। हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया गया कि पंडालों के आकार के आधार पर केवल सीमित लोगों को ही पंडालों में प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है। इसके लिए उन्हें पूरी तरह वैक्सीनेट होना चाहिए और साथ ही मास्क पहने हों।

न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा और न्यायमूर्ति केसांग डोमा भूटिया की पीठ ने इस बात पर खेद जताया कि पिछले महीने दुर्गा पूजा के दौरान पूजा पंडालों के बाहर भारी भीड़ देखी गई और तदनुसार राज्य के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि आगामी त्योहारों के दौरान इस तरह की कोई भीड़भाड़ न हो।

कोर्ट ने कहा,

"वर्ष 2021 के लिए दुर्गा पूजा के दौरान COVID-19 पॉजीटिव मामलों में कमी और प्रतिबंधों में ढील के साथ जो लोग लंबे समय तक लॉकडाउन के दौरान घरों में रहे हैं, वे अब सामाजिक रूप से बाहर निकल गए हैं। इसके चलते कुछ क्षेत्रों और लोकप्रिय पंडालों में विशेष पूजा के दौरान भारी भीड़ देखी गई है। वास्तव में ऐसी पूजा में से एक को रोकना पड़ा और संबंधित सजावटी पंडाल को भी बंद करना पड़ा।"

पीठ एक जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें अजय कुमार डे ने आने वाले त्योहारों काली पूजा, जगाधत्री पूजा, कार्तिक पूजा और छठ पूजा के दौरान भीड़ प्रबंधन सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की थी।

कोर्ट ने आगे रेखांकित किया,

"वास्तव में यह सुनिश्चित करना नागरिकों पर निहित है कि किसी भी स्थान पर भीड़ न हो। लोगों को खुद को प्रतिबंधित करना चाहिए और भीड़भाड़ से बचने और रोकने के लिए खुद पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। राज्य स्पष्ट रूप से सख्ती से सभी कदम उठाना जारी रखेगा। इसके लिए उसे उपरोक्त आदेशों को लागू करना होगा।"

हालांकि कोर्ट ने कहा कि राज्य में COVID-19 पॉजीटिव दर 5% के भीतर है। कोर्ट ने कहा कि महामारी की तीसरी लहर के फिर से शुरू होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट ने आगे कहा कि आठ नवंबर को कोर्ट के दोबारा खुलने के बाद वह आगामी छठ पूजा के दौरान लगाए जाने वाले प्रतिबंधों पर एक अलग आदेश पारित करेगा।

कोर्ट ने निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी किए-

• सभी पंडाल नो-एंट्री जोन बने रहेंगे। इसमें पंडालों से परे पांच मीटर का क्षेत्र भी शामिल है। केवल ढाकियों को पंडालों के बाहर और उसके बाद पांच मीटर के क्षेत्र में इक्ट्ठा होने की अनुमति होगी। ढाकी को छोड़कर, पांच मीटर के क्षेत्र को हर समय पूरी तरह से मुक्त रखना होगा।

• छोटे पंडालों में जहां मंच को छोड़कर आच्छादित क्षेत्र 150 वर्ग मीटर तक है, किसी भी समय ऐसे आच्छादित क्षेत्र में केवल 10 व्यक्ति ही इक्ट्ठा हो सकते हैं। मंच को छोड़कर 150 वर्ग मीटर और 300 वर्ग मीटर के बीच के कवर क्षेत्र वाले पंडालों के लिए किसी भी समय व्यक्तियों की संख्या 15 हो सकती है। बड़े पंडालों के लिए मंच को छोड़कर 300 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में अधिकतम पंडालों में किसी भी समय 45 व्यक्ति इक्ट्ठा हो सकते हैं।

• पूजा पंडालों में सैनिटाइजर उपलब्ध होना चाहिए और पंडाल क्षेत्र के भीतर और आसपास मास्क पहनना अनिवार्य होगा। पंडालों के भीतर और पंडालों के आसपास हर समय सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखनी होगी।

• विसर्जन कम भीड़भाड़ वाला होना चाहिए। इस तरह के उद्देश्य के लिए जुलूस की अनुमति नहीं होगी। विसर्जन के समय बैंड और लाइट का प्रयोग भी प्रतिबंधित रहेगा। यह स्थानीय पुलिस पर निर्भर होगा कि वह कम समय प्रदान करे ताकि विसर्जन घाटों पर अधिक भीड़ न हो।

• ऐसी प्रविष्टि अप्रतिबंधित होगी बशर्ते कि पूजा-पंडाल के अंदर अधिकतम व्यक्तियों की अनुमति और अनुपालन के अधीन प्रत्येक आगंतुक पूरी तरह से वैक्सीनेट हो और वह मास्क पहने हो। अन्य शर्तों जैसे वैक्सीन की दोनों डोज लेना, मास्क पहनना, सभी गतिविधियां और पूजा अनुष्ठान जैसे अंजलि, आरती, सिंदूर खेला आदि के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पंडाल के अंदर जाने की अनुमति है। इन सभी अनुपालन की जांच प्रवेश द्वार पर पूजा आयोजकों द्वारा की जाएगी। पुलिस द्वारा स्पॉट वेरिफिकेशन किया जाना है। यदि कोई पूजा संगठन डिफॉल्ट पाया जाता है तो उस पंडाल में पूजा और अन्य सभी गतिविधियों को पुलिस द्वारा तत्काल रद्द किया जा सकता है।

• "ऐसी प्रविष्टि प्रदान की जाएगी बशर्ते प्रत्येक आगंतुक को वैक्सीन की दोनों डोज लगी हो और वह मास्क पहने हो।" फिर भी इस सब को, विशेष रूप से पूजा पंडाल क्षेत्रों और सामान्य रूप से सड़क पर भीड़ के लिए इसे एक बचाव के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।

केस शीर्षक: अजय कुमार डे बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य

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