शिकायतकर्ता महिला की उम्र 58 वर्ष से कम होने पर वरिष्ठ नागरिक मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल का अधिकार क्षेत्र लागू नहीं किया जा सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2022-05-18 05:50 GMT

Punjab & Haryana High Court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत वरिष्ठ नागरिक होने का दावा करने वाली महिला द्वारा दायर भरण-पोषण याचिका के जवाब में पारित अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के आदेश रद्द करते हुए कहा कि मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल अपने अधिकार क्षेत्र को इस कारण से लागू नहीं कर सकता कि महिला की आयु प्रासंगिक तिथि यानी ऐसे ट्रिब्यूनल के समक्ष कार्यवाही की स्थापना की तारीख को 58 वर्ष से कम थी।

जस्टिस अरुण मोंगा की खंडपीठ ने आक्षेपित आदेश को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि केवल इस छोटे से आधार पर ट्रिब्यूनल अधिनियम के तहत मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र को लागू नहीं कर सकता, क्योंकि प्रतिवादी प्रासंगिक तिथि पर याचिकाकर्ता महिला वरिष्ठ नागरिक नहीं है।

इस आधार पर केवल उस छोटे से आधार पर ट्रिब्यूनल अधिनियम के तहत मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र को लागू नहीं कर सकता, क्योंकि प्रतिवादी नंबर दो 58 वर्ष से कम थी, प्रासंगिक तिथि पर वरिष्ठ नागरिक नहीं है।

वर्तमान मामला उस आदेश को रद्द करने के लिए प्रमाण पत्र के रूप में रिट याचिका के परिणामस्वरूप आया, जिसके तहत प्रतिवादी नंबर दो द्वारा माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत दायर आवेदन को अनुमति दी गई थी। याचिकाकर्ता को आदेश पारित होने के 30 दिनों के भीतर प्रतिवादी नंबर दो की संपत्ति को खाली करने का निर्देश दिया गया।

राशन कार्ड, आधार कार्ड और इस अदालत में दायर पूर्व याचिका पर गौर करने के बाद अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि प्रतिवादी ने खुद को मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के समक्ष कार्यवाही शुरू करने की तारीख पर अपनी उम्र 58 वर्ष से कम बताई है।

विशेष रूप से एनेक्सचर की तुलना में रिकॉर्ड का अवलोकन, एनेक्सचर P-1 (राशन कार्ड), P-1-A (आधार कार्ड) और P-4 (प्रतिवादी नंबर दो द्वारा इस अदालत में दायर पूर्व याचिका) को दर्शाता है कि अपनी मर्जी से प्रतिवादी नंबर दो ने दिनांक 04.09.2020 को याचिका एनेक्सचर पी-5 के माध्यम से अनुरक्षण ट्रिब्यूनल के समक्ष कार्यवाही शुरू करने की तिथि को 58 वर्ष से कम होने की बात कही है।

उपरोक्त कथन के आलोक में अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि केवल उस छोटे से आधार पर ट्रिब्यूनल अधिनियम के तहत मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र को लागू नहीं कर सकता।

तद्नुसार, न्यायालय ने अधिकारिता के अभाव के कारण आक्षेपित आदेश को निरस्त कर दिया।

केस टाइटल: रानी बनाम अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट और अन्य

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