जोशीमठ संकट: हाई पावर्ड ज्वाइंट कमेटी के गठन, प्रभावित निवासियों के पुनर्वास की मांग वाली जनहित याचिका दिल्ली हाईकोर्ट से वापस ली गई

Update: 2023-02-07 08:24 GMT

Joshimath Crisis

उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) क्षेत्र में हाल ही में जमीन धसने की घटनाओं से संबंधित जनहित याचिका मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) से वापस ले ली गई।

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने दिल्ली के वकील रोहित डंडरियाल द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि यह क्षेत्र जलवायु और बुनियादी ढांचे में बदलाव के कारण प्रभावित हुआ है।

याचिका में निवासियों के पुनर्वास सहित जोशीमठ के निरीक्षण के लिए एक हाई पावर्ड ज्वाइंट कमेटी के गठन की मांग की गई थी।

अदालत को बताया गया कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ताओं को उत्तराखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की छूट दी थी, जो पहले से ही इस मामले पर विचार कर रहा है।

इससे पहले, उत्तराखंड सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि संकट से निपटने के लिए नेशनल और स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स को तैनात किया गया था और कई लोगों को पुनर्स्थापित और स्थानांतरित किया गया है।

उत्तराखंड राज्य के डिप्टी एडवोकेट जनरल जेके सेठी ने भी प्रस्तुत किया कि इस मुद्दे को देखने के लिए दो समितियों का गठन किया गया है और एक पुनर्वास पैकेज भी तैयार किया जा रहा है।

याचिका में कहा गया है कि जोशीमठ में रहने वाले लगभग 500 परिवार या तो अपने घरों में रह कर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं या ठंड के मौसम में अन्य स्थानों पर आवास की तलाश कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता का कहना था कि उसने 6 जनवरी को सड़क परिवहन और राजमार्ग, गृह मामलों और बिजली, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयों को एक अभ्यावेदन लिखा था, जिसमें विष्णुप्रयाग जल विद्युत संयंत्र परियोजना और राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मद्देनजर उक्त समिति गठित करने का अनुरोध किया गया था।

याचिका में कहा गया है कि पिछले वर्षों में जोशीमठ में इन निर्माण गतिविधि ने निवासियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है।

याचिका में ये भी कहा गया है,

“चमोली में भूस्खलन के बाद 2021 में दरारों की पहली रिपोर्ट के बाद से, 570 से अधिक घरों में क्षति या दरारें बनी हुई हैं, क्योंकि निवासियों ने बाद के वर्षों में बार-बार भूकंपीय झटके महसूस किए।"

केस टाइटल: रोहित डंडरियाल बनाम भारत संघ और अन्य


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