शिक्षक का काम शिक्षा प्रदान करना है, लेकिन बिहार शिक्षा विभाग ने ठेकेदार स्तर के कार्य सौंप दिए : पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने सोमवार (18 जनवरी) को शिक्षक (शैलेश कुमार) को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि अब शिक्षकों को इस आरोप के साथ अभियुक्त बनाया जाता है कि शिक्षक/प्रधानाध्यापक को आवंटित धन का उचित उपयोग नहीं किया गया था।
न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ शिक्षक शैलेश कुमार की याचिका पर सुनवाई की। दरअसल, साल 2016 के कटेया पी. एस. केस नंबर 172 के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 409 और धार 34A के तहत विभिन्न अपराधों के लिए शैलेश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद उसे गिफ्तार भी कर लिया गया था।
शैलेश कुमार जो पेशे से शिक्षक है, उस पर आरोप था कि उन्होंने फंड का सही इस्तेमाल नहीं किया है।
कोर्ट शैलेश को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि,
"मुख्य रूप से एक शिक्षक का काम छात्रों को शिक्षा प्रदान करना है, लेकिन दुर्भाग्य से बिहार राज्य में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्कूल भवन के निर्माण कार्य को पूरा करने और अन्य का निर्वहन करने के लिए ठेकेदार के स्तर के कार्य सौंप दिए गए, जबकि शिक्षक का काम शिक्षा प्रदान करना था।"
कोर्ट ने आगे कहा कि,
"इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अदालत का विचार है कि याचिकाकर्ता अग्रिम जमानत के विशेषाधिकार का हकदार है। किसी भी आपराधिक जवाबदेही को तय करने से पहले प्राधिकरण उन लोगों पर जिम्मेदारी तय करने के सवाल पर विचार करेगा जिन्होंने शिक्षकों को ठेकेदारों को सौंप दिया था।"
पूर्वोक्त विचार करते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि आदेश की तारीख से एक महीने के भीतर उसकी गिरफ्तारी या आत्मसमर्पण करने की स्थिति में उसे (शैलेश कुमार) को गोपालगंज के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की संतुष्टि के लिए प्रत्येक राशि के दो प्रतिभूति के साथ 50,000 / - (पचास हजार) रुपये के जमानत बांड पर जमानत पर रिहा किया जाए।
केस टाइटल - शैलेश कुमार बनाम बिहार राज्य
[CRIMINAL MISCELLANEOUS No.28405 of 2020 Arising Out of PS
Case No. 172 Year - 2016 Thana- Kateya District- Gopalganj]
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