झारखंड हाईकोर्ट ने देवघर त्रिकूट पहाड़ रोपवे हादसा मामले में सिंफर, बीआईटी मेसरा को प्रतिवादी बनाने का निर्देश

Update: 2022-05-05 11:31 GMT

झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने झारखंड के देवघर जिले के त्रिकूट पहाड़ रोपवे हादसा (Deoghar Ropeway Accident)  मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सिंफर व बीआईटी मेसरा को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है।

चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने निर्देश दिया,

"हम चाहते हैं कि सिंफर व बीआईटी मेसरा द्वारा रिपोर्ट को दो सप्ताह के भीतर रिकॉर्ड पर रखा जाए।"

इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को हादसे की जांच से संबंधित रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने देखा कि अखबार में यह व्यापक रूप से प्रकाशित हुआ है कि वहां दो तकनीकी रिपोर्ट थे, एक बी.आई.टी. मेसरा, रांची की एक तकनीकी समिति द्वारा, जिसमें एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर भी सदस्य शामिल है। दूसरी सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग और फ्यूल रिसर्च, धनबाद (C.I.M.F.R) की रिपोर्ट है।

राज्य सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने प्रस्तुत किया कि सरकार मामले की उच्च स्तरीय जांच करा रही है। जल्द ही रिपोर्ट अदालत में सौंपी जाएगी।

कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए 6 मई को सूचीबद्ध किया है।

दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट ने 12 अप्रैल को स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए थे और राज्य को एक हलफनामे के जरिए विस्तृत जांच रिपोर्ट दाख़िल करने का निर्देश दिया था।

राज्य की ओर से एडवोकेट जनरल राजीव रंजन पेश हुए थे। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग और फ्यूल रिसर्च की ओर से एडवोकेट अभय प्रकाश और बीआईटी मेसरा की ओर से श्रीजीत चौधरी पेश हुए थे।

त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसा

रेस्क्यू ऑपरेशन में वायुसेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी समेत सेना के अन्य जवानों ने कड़ी मशक्कत के बाद जान जोखिम में डालकर ट्रॉली में फंसे 46 लोगों की जान बचाई थी। इनमें तीन पर्यटकों की मौत हो गई थी। यह हादसा 10 अप्रैल को करीब साढ़े चार बजे हुआ था।

जिन ट्रॉलियों पर ये हादसा हुआ था, इन ट्रॉलियों के जरिए हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु झारखंड की धार्मिक नगरी देवघर के पहाड़ पर बने मंदिरों तक पहुंचते हैं।

केस का शीर्षक: कोर्ट द्वारा लिया गया स्वत:संज्ञान बनाम झारखंड राज्य एंड अन्य

कोरम: चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:




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