जम्मू कोर्ट ने अधिवक्ता दीपिका राजावत को नवरात्री ट्वीट मामले में दर्ज एफआईआर पर अग्रिम ज़मानत दी
प्रधान सत्र न्यायाधीश, जम्मू की अदालत ने नवरात्रि के अवसर पर अपने ट्वीट के खिलाफ दर्ज एफआईआर के संबंध में अधिवक्ता दीपिका सिंह राजावत द्वारा दायर अग्रिम ज़मानत याचिका मंज़ूर कर ली है।
राजावत के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता पीएन रैना और आलोक बम्ब्रो द्वारा दिए गए तर्कों के आधार पर न्यायाधीश संजीव गुप्ता ने देखा है कि राजावत अपनी गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण पाने की हकदार हैं।
राजावत के वकीलों ने प्रस्तुत कि राजावत का ट्वीट "भारत में बढ़ते बलात्कार के मामलों के खिलाफ आवाज उठाने के उद्देश्य से किया गया था और उसमें महिलाओं पर अत्याचार करने वाले लोगों की निंदा की गई है।"
आगे यह प्रस्तुत किया गया कि,
"महिलाओं के प्रति समाज के पाखंड को उजागर करने वाली उक्त तस्वीर धर्म के बारे में नहीं थी। यह न तो हिंदू धर्म का दुरुपयोग करती है और न ही हिंदुओं की धार्मिक आस्था को इससे ठेस पहुंचती है।"
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि 294,295-A और 505-B (2) IPC की धाराओं के तहत अपराध के लिए आवश्यक सामग्री याचिकाकर्ता के खिलाफ नहीं बनाई गई है, जो कि एक प्रतिष्ठित वकील हैं, जो कि यूनियन टेरेटरी के जम्मू- कश्मीर में मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रही हैं।
उन्होंने तर्क दिया कि,
"याचिकाकर्ता का किसी भी वर्ग के धार्मिक विश्वासों के धर्म का अपमान करने का कोई इरादा नहीं है, याचिकाकर्ता द्वारा ट्वीट की गई तस्वीर से विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी या नफरत पैदा करने का कोई इरादा नहीं है।
अदालत ने निर्देश दिया कि राजावत सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम जमानत पर रहेंगी और जांच अधिकारी की संतुष्टि के लिए 50,000 रुपए का निजी बंधपत्र और ज़मानतदार पेश करेंगी।
हालांकि राजावत को जांच में सहयोग करने और आवश्यकता पड़ने पर जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया गया है।
बैकग्राउंड
यह मामला नवरात्रि पर राजावत के ट्वीट में एक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में जम्मू के गांधी नगर पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर से संबंधित है।
19 अक्टूबर को राजावत ने एक कार्टून ट्वीट किया था, जिसमें नवरात्र पर देवी पूजन के साथ महिला सुरक्षा विषम थी, जिसका शीर्षक "विडंबना" (irony) था। चित्र में दो दृश्यों के बीच तुलना की गई थी :
एक दृश्य में, एक आदमी नवरात्रि के नौ दिवसीय हिंदू त्योहार के दौरान एक महिला हिंदू देवता के पैर छू रहा है।
दूसरे दृश्य में, अन्य दिनों के साथ, एक आदमी आक्रामक रूप से एक महिला के दोनों पैरों को पकड़ रहा है।
इस ट्वीट के बाद राजावत पर आईपीसी की धारा 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए बयान), 294 (अश्लील कृत्य) और 295A (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, अपने धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को नाराज करने के उद्देश्य से) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
राजावत ने कहा है कि उन्होंने भारत में बलात्कार के बढ़ते मामलों के खिलाफ आवाज उठाने और महिलाओं पर अत्याचार करने वाले लोगों की निंदा करने के उद्देश्य से उक्त ट्वीट पोस्ट किया था।
उन्होंने आगे कहा,
"उक्त तस्वीर जो महिलाओं के प्रति समाज के पाखंड पर प्रकाश डालती है, वह धर्म के बारे में नहीं थी । यह न तो हिंदू धर्म का अपमान है और न ही हिंदुओं की धार्मिक आस्था को ठेस है।"
उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके ट्वीट को बीजेपी आईटी सेल 4 ने सांप्रदायिक रूप से चित्रित किया था, जिसने उनकी गिरफ्तारी की मांग करते हुए सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ ऑनलाइन अभियान भी शुरू किया था और हैशटैग को बढ़ावा दिया था #ArrestDeepikaSinghRajawat।
"उन्होंने उस पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया और उसके खिलाफ विभिन्न स्थानों पर तुच्छ शिकायतें दर्ज करना शुरू कर दिया।"
इसके बाद राजावत ने कई ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें धमकी दी जा रही है और वह अब ' सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भीड़ उनके आवास के बाहर इकट्ठा हुई थी, और उनके खिलाफ नारेबाजी भी की गई थी।
आवेदन में आगे कहा गया है,
"19 तारीख को ही बजरंग दल के प्रदेश अध्यक्ष राकेश बजरंगी के नेतृत्व में उनके आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया गया था और उन्हें धमकियां दी... उक्त विरोध 1:00 बजे तक जारी रहा और अपने आवास के बाहर इकट्ठे हुए आक्रामक भीड़ से खुद को बचाने के लिए उसे पुलिस को बुलाना पड़ा जिसने भीड़ को हटाया।"