पटाखों की बिक्री के लिए सुरक्षित क्षेत्रों की पहचान करना प्रशासन की जिम्मेदारी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह सुरक्षित क्षेत्रों की पहचान करे जहां पटाखों की बिक्री की अनुमति होगी।
न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ मनोज मित्तल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता के पटाखों के भंडारण और बिक्री के संबंध में लाइसेंस के नवीनीकरण के आवेदन को सहारनपुर जिला प्रशासन ने इस साल की शुरुआत में खारिज कर दिया था।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि आवेदन को खारिज करते समय विस्फोटक नियम, 2008 की धारा 118 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
इसके अलावा, न्यायालय के समक्ष यह भी प्रस्तुत किया गया कि वह वर्षों से पटाखों को बेचने का व्यवसाय चला रहा है और उसकी दुकान की बाजार में एक उच्च प्रतिष्ठा है।
उसने अदालत को यह भी बताया कि एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते वह राज्य के अधिकारियों द्वारा नियुक्त किसी भी उपयुक्त स्थान पर पटाखे बेचने के अपने व्यवसाय को स्थानांतरित करने के लिए तैयार हैं।
इस पृष्ठभूमि के खिलाफ यह देखते हुए कि मामले पर विचार करने की आवश्यकता है, न्यायालय ने अंतरिम उपाय के रूप में याचिकाकर्ता को दक्षिण शहर मैदान, दिल्ली रोड, पुलिस स्टेशन-सदर, जिला सहारनपुर में पटाखों की दुकान स्थापित करने की अनुमति दी। ये स्थान राज्य के अधिकारियों द्वारा पटाखों की बिक्री के लिए अनुमोदित स्थान है।
इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि याचिकाकर्ता की ओर से किए गए सबमिशन के मद्देनजर प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा अनापत्ति वापस लेने और विस्फोटक लाइसेंस रद्द करने के लिए पारित किए गए आदेशों पर फिर से विचार किया जाए।
गौरतलब है कि राज्य प्रशासन ने पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। कोर्ट ने यह देखते हुए घनी आबादी वाले इलाकों से पटाखों की दुकानों को स्थानांतरित करने के प्रशासन के नीतिगत फैसले की सराहना की।
हालांकि, कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि यह प्रशासन की ज़िम्मेदारी है कि वह सुरक्षित क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ पटाखों की बिक्री की अनुमति होगी।
कोर्ट ने सहारनपुर के जिलाधिकारी को भी जिला सहारनपुर में ऐसे सभी क्षेत्रों की पहचान कर हलफनामा दाखिल करने को कहा।
संबंधित समाचार में कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को आगामी त्योहारों के दौरान पटाखों के नियमन पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेशों के उचित कार्यान्वयन के लिए निर्देश देने की मांग वाली एक याचिका का निपटारा किया। यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट द्वारा कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द करने के मद्देनजर आया जिसने पश्चिम बंगाल राज्य में पटाखों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।
उड़ीसा हाईकोर्ट ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्देशनुसार आगामी उत्सवों के दौरान केवल 'ग्रीन पटाखों' के उपयोग और बिक्री की अनुमति दी।
मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति बीपी राउत्रे की खंडपीठ ऑल ओडिशा फायरवर्क्स डीलर्स एसोसिएशन और अन्य नामक पटाखा निर्माताओं के एक संघ द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुना रही थी।
केस का शीर्षक - मनोज मित्तल बनाम भारत संघ और चार अन्य
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