अंतर-धार्मिक जोड़े ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड करवाने के लिए समय मांगा, मप्र हाईकोर्ट ने अपहरण की एफआईआ पर रोक लगाई
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अंतर-धार्मिक जोड़े को उनके माता-पिता और समाज से सुरक्षा के रूप में राहत दी। अदालत ने पुलिस को याचिकाकर्ता/लड़के के खिलाफ याचिकाकर्ता/लड़की के परिवार द्वारा अपहरण के कथित अपराध के लिए दर्ज एफआईआर के अनुसार कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया।
जस्टिस नंदिता दुबे ने रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया,
प्रतिवादी नंबर तीन से छह तक को निर्देशित किया जाता है कि याचिकाकर्ता नंबर एक के रिश्तेदारों द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई न करें। इसके अलावा, यदि समाज या याचिकाकर्ता नंबर एक के माता-पिता द्वारा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है तो उन्हें भी सुरक्षा दी जाएगी।
इस बीच कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ताओं का मामला यह है कि वे वयस्क हैं और अपनी मर्जी से साथ रह रहे हैं। वे बचपन से एक-दूसरे को जानते हैं और एक-दूसरे से प्यार करते हैं। जब उन्होंने लड़की के परिवार को अपनी शादी का प्रस्ताव दिया तो जोड़े को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई, क्योंकि लड़का मुस्लिम समुदाय से है। मौत की आशंका से युवती घर छोड़कर अपने साथी के साथ मध्य प्रदेश से बाहर चली गई। उन्होंने एक मंदिर में शादी कर ली, क्योंकि वे विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों से अनजान हैं।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत को सूचित किया कि जब वे दूर थे, तब याचिकाकर्ता/लड़की के माता-पिता ने राज्य के अधिकारियों की मिलीभगत से याचिकाकर्ता/लड़के के घर का पता दिया और उसके पिता की दुकान को बिना कोई कारण बताओ नोटिस दिए ध्वस्त कर दिया। इसके अलावा, उस पर और उसके परिवार के सदस्यों पर दबाव बनाने के लिए उन्होंने उसके, उसके परिवार और दोस्तों के खिलाफ अपहरण की झूठी शिकायत दर्ज कराई।
ऐसी परिस्थितियों में और समाज और माता-पिता की धमकी के तहत वे अदालत से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। उन्होंने आगे याचिकाकर्ता/लड़के के घर और उसके पिता की दुकान को अवैध रूप से गिराने के लिए राज्य से मुआवजे की मांग की।
याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि भारत के नागरिक होने के नाते उन्हें अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है। लड़की ने कोर्ट को आगे बताया कि उसके साथी ने उसका अपहरण नहीं किया और वह स्वेच्छा से उसके साथ रह रही है। उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि वे अपनी शादी को विशेष विवाह अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड करवाएंगे।
केस शीर्षक: साक्षी साहू और अन्य बनाम मध्य प्रदेश और अन्य राज्य
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