इंटर कंट्री एडॉप्शन: दिल्ली हाईकोर्ट ने पक्षकारों को प्रमाणीकरण प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए डीएम, विदेशी अधिकारियों और CARA को दिशा-निर्देश जारी किए

Update: 2021-11-24 14:10 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने दत्तक और जैविक माता-पिता (पक्षकार) को अंतरदेशीय दत्तक ग्रहण (इंटर कंट्री एडॉप्शन) के संबंध में जिला मजिस्ट्रेटों, विदेशी अधिकारियों और केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) से आवश्यक प्रमाणीकरण और अनापत्ति प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए कई निर्देश जारी किए।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:

(i) सभी एसडीएम/जिला मजिस्ट्रेटों के साथ-साथ राज्य दत्तक संसाधन एजेंसियों और जिला बाल संरक्षण इकाई के डेटाबेस बनाए जाएं, जिनसे सत्यापन और प्रमाण पत्र जारी करने के उद्देश्य से संपर्क किया जा सके।

(ii) CARA की वेबसाइट पर ऐसा डेटाबेस पब्लिश हो।

(iii) CARA में एक हेल्प डेस्क बनाए जो फिजिकल और ऑनलाइन दोनों तरह से उपलब्ध होगा। विभिन्न न्यायालयों में समय के अंतर को देखते हुए हेल्प डेस्क/हेल्पलाइन में 24 घंटे की हेल्पलाइन होनी चाहिए। इससे दत्तक माता-पिता अपनी सुविधा के अनुसार CARA से संपर्क कर सकेंगे। इसकी व्यवहार्यता की CARA द्वारा समीक्षा की जाएगी और स्थिति रिपोर्ट के माध्यम से इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।

(iv) CARA, अधिवक्ताओं/वकीलों को अधिकृत प्रतिनिधियों के रूप में पेश होने की अनुमति देने पर भी विचार करेगा, ताकि विभिन्न औपचारिकताओं को पूरा किया जा सके और समन्वय किया जा सके।

(v) जब भी CARA को उनसे संपर्क करने या उनके साथ बातचीत करने की आवश्यकता हो, जैविक या दत्तक माता-पिता को वर्चुअल रूप से जुड़ने या टेलीफोन पर उपलब्ध होने में सक्षम बनाने के लिए सिस्टम बनाया जाना चाहिए।

(vi) विदेशी अधिकारियों या जिला मजिस्ट्रेटों या सीएआरए द्वारा किए गए किसी भी अन्य पक्ष के साथ सभी संचारों को संबंधित पक्षों के साथ-साथ उनके अधिकृत प्रतिनिधियों को भी एक ई-मेल द्वारा कॉपी किया जाएगा ताकि प्रक्रिया का पालन किया जा सके। यह संबंधित पक्षों को प्रमाणीकरण जारी करने के लिए संबंधित विदेशी प्राधिकरण या जिला मजिस्ट्रेट के साथ अनुवर्ती कार्रवाई करने में भी सक्षम करेगा।

यह घटनाक्रम तब हुआ जब न्यायालय भारतीय बच्चों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोद लेने से संबंधित तीन मामलों से निपट रहा था।

तीनों मामलों में बच्चे और उनके जैविक माता-पिता भी भारत में हैं, लेकिन दत्तक माता-पिता विदेश में बस गए हैं। गोद लेने हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण पोषण अधिनियम (HAMA) के प्रावधानों के तहत किए गए है। हालांकि, पासपोर्ट और वीजा प्राप्त करने सहित विदेशों में बच्चों की आवाजाही में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा। दत्तक माता-पिता को CARA से एनओसी प्राप्त करना आवश्यक है।

न्यायालय ने याचिकाओं में न्यायालय की सहायता के लिए अधिवक्ता अतुल नागराजन को एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया।

अदालत ने CARA को दो सप्ताह के भीतर एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया। इसमें अंतर-देशीय गोद लेने के लिए लंबित आवेदनों की संख्या और CARA में लंबित रहने की समय अवधि का विवरण दिया गया हो।

अदालत ने कहा,

"प्रत्येक आवेदन के लिए उठाए गए कदम और उनकी संबंधित स्थिति को भी न्यायालय के समक्ष रखा जाएगा। सभी अंतरदेशीय गोद लेने के जो आवेदन लंबित हैं, CARA संबंधित पक्षों को 2021 विनियमों के बारे में सूचित करेगा ताकि उक्त आवेदन कर सकें। साथ ही एनओसी जारी करने की दिशा में भी कार्रवाई की जा सके।"

कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए 2021 रेगुलेशन के क्रियान्वयन के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

इससे पहले न्यायालय ने देखा था कि CARA एक न्यायिक आदेश के अनुपालन के प्रति अपने दृष्टिकोण में बेहद कठोर रहा है। इसके लिए प्राधिकरण HAMA के तहत अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की आवश्यकता होती है।

इसने आगे कहा कि प्राधिकरण याचिकाकर्ताओं, जो दत्तक माता-पिता और छोटे नाबालिग बच्चे हैं, को गोद लेने के लिए एनओसी देने की प्रक्रिया को लंबा करके अनावश्यक रूप से परेशान कर रहा है।

पृष्ठभूमि

अंतरदेशीय दत्तक ग्रहण में बच्चों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए और ऐसे मामलों में CARA के अनुभव को देखते हुए न्यायालय ने CARA को HAMA के तहत अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण के लिए सक्षम निकाय के रूप में कार्य करने का निर्देश दिया।

चूंकि इसके लिए कोई प्रक्रिया मौजूद नहीं है, इसलिए गोद लेने के संबंध में मौजूद एक संक्षिप्त प्रक्रिया, जो जेजे अधिनियम, 2015 के लागू होने से पहले प्रभावी थी, का पालन अंतरदेशीय दत्तक ग्रहण के मामले में एनओसी जारी करने के लिए किया जा सकता है, जो पहले से ही HAMA के तहत मान्यता प्राप्त हैं।

आगे यह राय दी गई कि जब भी HAMA के तहत कोई अंतरदेशीय दत्तक ग्रहण होता है और पासपोर्ट या वीज़ा जारी करने सहित किसी भी उद्देश्य के लिए एनओसी की आवश्यकता होती है तो CARA के समक्ष एक आवेदन दायर किए जाने पर एक विशेष समिति को विवरण सत्यापित करने के लिए नियुक्त किया जाएगा। HAMA गोद लेने से निपटने के लिए गठित विशेष समिति का विवरण भी रिपोर्ट में निर्दिष्ट करने का निर्देश दिया गया।

हेग कन्वेंशन के तहत प्रचलित शासन को देखते हुए HAMA गोद लेने को जेजे अधिनियम, 2015 द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है, कोर्ट ने माना कि HAMA के तहत अंतरदेशीय गोद लेने को सक्षम करने के लिए एक तंत्र बनाने की स्पष्ट आवश्यकता है।

तदनुसार, न्यायालय ने कारा को वर्तमान याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को सत्यापित करने और एक महीने की अवधि के भीतर उन्हें प्रदान करने का निर्देश दिया।

केस शीर्षक: राजविंदर कौर और एएनआर बनाम केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण

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