दोषी कर्मचारी के कदाचार स्वीकार करने के बाद जांच की आवश्यकता नहीं, प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन का दावा नहीं कर सकते: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के बर्खास्त कर्मचारियों द्वारा दायर दो रिट याचिकाओं का निस्तारण करते हुए फैसला सुनाया कि एक बार जब कोई कर्मचारी अपने कदाचार या अपराध को स्वीकार कर लेता है, तो जांच की आवश्यकता नहीं है। ऐसा कर्मचारी प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के गैर-पालन का आह्वान नहीं कर सकता है।
जस्टिस पंकज जैन की एकल पीठ ने कहा,
"ये कहना कि याचिकाकर्ताओं ने अपने कदाचार को स्वीकार करने के बावदूग जांच की जानी आवश्यक है, स्वीकार नहीं किया जा सकता है। एक बार जब दोषी कर्मचारी अपना अपराध स्वीकार कर लेता है, तो आगे जांच की आवश्यकता नहीं है और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन की वकालत करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।"
यह मामला हाईकोर्ट में तब पहुंचा जब याचिकाकर्ताओं ने एसजीपीसी द्वारा उनकी सेवाएं समाप्त करने के लिए पारित 29.07.2017 के आदेश को रद्द करते हुए प्रमाण पत्र की प्रकृति में एक रिट जारी करने की प्रार्थना की।
यह आदेश एक प्राथमिकी के बाद पारित किया गया था जो याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज की गई थी।
प्राथमिकी के अनुसार, तख्त श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो गुरुद्वारा, बठिंडा के एक कमरे में याचिकाकर्ताओं को आपत्तिजनक हालत में एक लड़की के साथ पाया गया था। बाद में पता चला कि याचिकाकर्ताओं ने कथित रूप से गुरुद्वारे में उसके साथ एक रात बिताने के इरादे से 6,000 रुपये का भुगतान किया था जो प्राथमिकी के अनुसार, सिख धर्म की भावनाओं को आहत करता है।
हाईकोर्ट के समक्ष, याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि विवादित आदेश सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 के तहत बनाए गए नियमों के तहत निर्धारित प्रक्रियात्मक कानून के उल्लंघन में पारित किया गया था।
यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ताओं को 22.07.2017 को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। 26.07.2017 को जमानत भी दे दी गई। ये आदेश, 3 दिनों के भीतर यानी 29.07.2017 को पारित किया गया, जो प्रक्रिया का घोर उल्लंघन था।
दूसरी ओर, SGPC ने तर्क दिया कि चूंकि दोषी कर्मचारी पहले ही अपने बयानों के माध्यम से अपना अपराध स्वीकार कर चुका है, इसलिए नियमों के तहत जांच करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
दयाल सिंह बनाम एसजीपीसी, 1999 के सीडब्ल्यूपी नंबर 5655 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए हाईकोर्ट ने एसजीपीसी के पक्ष में फैसला सुनाया।
केस टाइटल: कुलदीप सिंह बनाम शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी; धर्मिंदर सिंह बनाम शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी
साइटेशन: सीडब्ल्यूपी संख्या 27281 ऑफ 2017 (ओ एंड एम); सीडब्ल्यूपी संख्या 27282 ऑफ 2017 (ओ एंड एम)
कोरम: जस्टिस पंकज जैन
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