यह सोचना भ्रम है कि महान मुकदमे अपनी अंतर्निहित ताकत या कमजोरी के कारण जीते या हारे जाते हैं, बल्कि वकालत निर्णायक भूमिका निभाती हैः सीनियर एडवोकेट फली एस नरीमन
सीनियर एडवोकेट और प्रख्यात न्यायविद फली एस नरीमन ने सोमवार को एक मामले के परिणाम में वकालत के महत्व को रेखांकित किया। 'अच्छी वकालत' की बारीकियों पर युवा वकीलों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा,
"यह सोचना एक भ्रम है कि महान मामले उनकी अंतर्निहित ताकत या कमजोरी के कारण जीते या हारे जाते हैं। वकालत महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाती है। अच्छी वकालत में यह शामिल है कि आपने कितना अच्छा सोचा है और आखिरकार आपने कोर्ट में अपना मामला कैसे पेश किया।"
प्रख्यात न्यायविद नरीमन ने प्रतिभा एम सिंह कैम्ब्रिज एलएलएम स्कॉलरशिप, 2021 में "उत्कृष्टता के लिए प्रयास" विषय पर अपने विचार साझा कर रहे थे।
उन्होंने बार में युवा सदस्यों को सलाह दी कि वे अपनी गलतियों को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करें और उन्हें सुधारने का प्रयास करें।
उन्होंने कहा,
"कानून में एक और महत्वपूर्ण बात अपनी गलतियों से सीखने की इच्छा, नम्रता सीखना है। यदि आप कानून की प्रैक्टिस करते हैं तो आप अक्सर अपने विचारों में या पुरुषों और मामलों के आकलन में गलत होंगे और कानून में उत्कृष्टता की दिशा में एक छोटा कदम यह है कि आप अपनी गलतियों को स्वीकार करने और सुधारने में सक्षम हों।"
न्यायविद नरीमन ने युवा वकीलों को अदालती कार्यवाही का पालन करने और विशेष रूप से वरिष्ठ वकीलों को अदालत में बहस करते देखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने आगे कहा, "वकालत में सबक अक्सर महान और सफल लोगों से ग्रहण किया जाता है।"
सीनियर एडवोकेट ने कहा कि जिस मामले में बहस होनी है, उसके बारे में कम बात करना और आत्मनिरीक्षण करना अधिक महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, "बात कम करें, मामले पर अधिक विचार करें। अदालत और बाहर बोलने वाले वरिष्ठ भाइयों से सुनें और सीखें।"
उन्होंने आगे दोहराया कि भारत में कानून में दक्षता केवल अंग्रेजी भाषा में दक्षता हासिल करके ही पाया जा सकता है। उन्होंने आगे जोर दिया कि स्वतंत्रता, समानता, न्याय जैसी संवैधानिक अवधारणाएं मूल रूप से एंग्लो-सैक्सन हैं और इस प्रकार अंग्रेजी में कुशल होना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, "भारत में, कानून में उत्कृष्टता के लिए प्रयास केवल कानून की भाषा में कुछ हद तक दक्षता हासिल करने ही प्राप्त किया जा सकता है। औपनिवेशिक काल में, 200 से अधिक वर्षों तक अंग्रेजी को विदेशी भाषा के रूप में देखा जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं। स्वतंत्र भारत में अंग्रेजी एक भाषा बन गई है, जिसे हमने अपनी पसंद के रूप में स्वीकार कर लिया है।"
समापन से पहले सीनियर एडवोकेट ने युवा वकीलों को आगाह किया, "होशियार बनो लेकिन कभी भी जरूरत से ज्यादा होशियार मत बनो और तुम जो कुछ भी करोगे, उसमें तुम उत्कृष्टता प्राप्त करोगे!"
उन्होंने ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ कोटेशन के एक उद्धरण का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है, " मनुष्य कैसे उत्कृष्टता प्राप्त कर सकता था, अगर उसने अपने चातुर्य को उपयोग करने के बजाय उसे दबाना चुना है।"
[ घटना का विवरण नीचे पढ़ें ]
Senior Advocate Fali S Nariman to deliver address today at 8:30 pm as the Chief Guest of the award ceremony for the Prathiba M Singh Cambridge LLM. Scholarship 2021, an initiative of the Sardar Manmohan Singh Charitable Trust. Follow for live updates.#FaliSNariman pic.twitter.com/syFjZ91moW
— Live Law (@LiveLawIndia) November 8, 2021