HPNLU, शिमला ने 'भारतीय संविधान के 75 साल' विषय पर संविधान दिवस व्याख्यान का सफल आयोजन किया

Update: 2025-11-25 12:18 GMT

हिमाचल प्रदेश नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (HPNLU), शिमला ने प्रो. (डॉ.) प्रीति सक्सेना, माननीय कुलपति के नेतृत्व में 25 नवंबर 2025 को “भारतीय संविधान के 75 साल” विषय पर संविधान दिवस व्याख्यान का सफल आयोजन किया। यह कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (CNLU), पटना के कुलपति प्रो. (डॉ.) फैजान मुस्तफा ने मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर कीनोट एड्रेस दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. संतोष कुमार शर्मा, डीन (शैक्षणिक मामलों) ने की। उन्होंने संविधान दिवस के महत्व, भारतीय लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने में संवैधानिक साक्षरता की भूमिका और संविधान के समकालीन संदर्भ में बढ़ती प्रासंगिकता पर विस्तृत प्रकाश डाला।

अपने स्वागत भाषण में, माननीय कुलपति प्रो. (डॉ.) प्रीति सक्सेना ने कहा कि HPNLU विद्यार्थियों को संवैधानिक मूल्यों से जोड़ने, आलोचनात्मक चिंतन विकसित करने और संविधान निर्माताओं के दूरदर्शी योगदान को समझने हेतु सदैव प्रतिबद्ध है। उन्होंने पिछले 75 वर्षों में भारत के संवैधानिक विकास पर विचार करने की आवश्यकता और आज की कानूनी-सामाजिक चुनौतियों के संदर्भ में इसकी उपयोगिता पर ज़ोर दिया।

मुख्य अतिथि के रूप में अपने प्रभावशाली व्याख्यान में, प्रो. (डॉ.) फैजान मुस्तफा ने 1950 में संविधान के लागू होने के बाद से भारत की संवैधानिक यात्रा की विस्तृत और विद्वतापूर्ण समीक्षा प्रस्तुत की। उन्होंने प्रमुख संवैधानिक मील के पत्थर, ऐतिहासिक न्यायिक निर्णयों और भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को आकार देने वाले वैल्यूज़ पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने न्याय, स्वतंत्रता, समानता, संवैधानिक नैतिकता, संघवाद और मौलिक अधिकारों की आज भी जारी महत्ता पर विशेष बल दिया।

कार्यक्रम का समापन रजिस्ट्रार प्रो. (डॉ.) गिरजेश शुक्ला द्वारा औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। उन्होंने मुख्य अतिथि, कुलपति, सभी संकाय सदस्यों, विद्यार्थियों और ऑनलाइन/ऑफ़लाइन जुड़े सभी प्रतिभागियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।

HPNLU, शिमला शिक्षा में उत्कृष्टता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अपने समर्पण को पुनः रेखांकित करता है और संविधान दिवस को आत्मचिंतन, अधिगम और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में प्रतिबद्धता को मजबूत करने का अवसर मानकर मनाता है।

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