मोटर दुर्घटना | मृतक की आय के साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफलता न्यूनतम वेतन के निम्नतम स्तर को अपनाने को उचित नहीं ठहराती: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि दावेदार का मृतक की मासिक की आय दिखाने के लिए दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने में असमर्थ होने पर आय की गणना करते समय न्यूनतम वेतन के निम्नतम स्तर को अपनाने का औचित्य नहीं होना चाहिए।
जस्टिस ज्योत्सना रेवाल दुआ ने उक्त टिप्पणी मृतक की मां को क्लेम ट्रिब्यूनल द्वारा 15,85,000 रुपए का मुआवाजा दिए जाने के आदेश के खिलाफ बीमा कंपनी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की।
ट्रिब्यूनल ने मृतक की मासिक आय 10,000/- के रूप में निर्धारित की, जबकि अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि मृतक की आय दिखाने के लिए किसी भी दस्तावेजी साक्ष्य के अभाव में अवार्ड की गणना न्यूनतम मजदूरी दर यानी 7,000- रुपए प्रति माह के अनुसार की जानी चाहिए।
मृतक की मां ने अदालत को सूचित किया कि उसका बेटा केवल कृषि कार्यों से 10,000/- रुपए प्रति माह कमा रहा था। इसके अलावा, उसने प्रस्तुत किया कि उसने मैकेनिक (मोटर वाहन) व्यापार में दो साल का एनसीवीटी कोर्स पूरा किया था। अगर वह जीवित रहता तो निश्चित रूप से रुपये से 10,000/- रुपए प्रति माह से अधिक आय अर्जित कर रहा होता।
इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने कहा कि जहां मृतक के पास सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से मैकेनिक (मोटर वाहन) व्यापार में एनसीवीटी सीटीएस कोर्स डिप्लोमा था और वह कृषि कार्य से भी रु. 10,000/- रुपए प्रति माह कर रहा था, वहां उसकी आय के रूप में सही ढंग से निर्धारित की गई है, जो उसने 25 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर अर्जित की होगी।
चंद्रा उर्फ चंदा उर्फ चंद्र राम और अन्य बनाम मुकेश कुमार यादव और अन्य पर भरोसा रखा गया, जहां यह माना गया कि वेतन प्रमाण पत्र के अभाव में न्यूनतम वेतन अधिसूचना एक पैमाना हो सकता है, लेकिन साथ ही मृतक की आय तय करने के लिए पूर्ण नहीं हो सकता है। रिकॉर्ड पर दस्तावेजी साक्ष्य के अभाव में कुछ अनुमान लगाने की आवश्यकता है। साथ ही मृतक की आय का आकलन करने के अनुमान को वास्तविकता से पूरी तरह से अलग नहीं किया जाना चाहिए।
इसी के तहत याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम सुम्ना देवी
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