"हरियाणा सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं": हाईकोर्ट ने अपील दायर करने में 3 साल की देरी को मामले की फाइलें खो जाने के आधार पर खारिज किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को हरियाणा सरकार को लिमिटेशन एक्ट पर ध्यान नहीं देने और अपील करने में अत्यधिक देरी करने के लिए फटकार लगाई।
जस्टिस दीपक गुप्ता की एकल पीठ ने इस आधार पर सरकार को क्षमा करने से इनकार करते हुए कहा कि अंतर्विभागीय परामर्श के दौरान मामले की फाइल गुम हो गई थी, टिप्पणी की,
"बड़ी संख्या में मामलों में सरकार इसी तरह के आधार पर देरी को माफ करना चाहती है। इस न्यायालय के साथ-साथ माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा अधिकारियों के ढेरों बार-बार दिए गए निर्देशों के बावजूद, राज्य सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं दिखता। सरकार द्वारा बड़ी देरी के साथ अपील दायर की जाती है और यह मानकर देरी की मांग की जाती है कि सीमा अधिनियम जैसी कोई क़ानून नहीं है या इस धारणा के तहत कि किसी भी देरी के लिए आवेदन को माफ कर दिया जाएगा।"
पीठ ने जारी रखा कि जब यह कहा गया कि मामले की फाइल एक विशेष अधिकारी द्वारा खो दी गई, तब भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए यह कहा गया कि केवल यह कहकर कि फ़ाइल राय लेने के लिए एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में चली गई और फिर अधिकारी द्वारा खो दी गई, राज्य को रिकॉर्ड पर लाए बिना दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई के संबंध में तीन साल से अधिक की देरी से अपील दायर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
अदालत ने कहा,
"समय के भीतर अच्छी तरह से निर्णय न लेने के कारण दोषी अधिकारियों/लोक सेवकों के खिलाफ शायद ही कभी कोई कार्रवाई की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप भारी देरी होती है। इस प्रथा को बंद किया जाना चाहिए।"
न्यायालय अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने याचिकाकर्ता के पक्ष में अनिवार्य और स्थायी निषेधाज्ञा के डिक्री के खिलाफ अपील को प्राथमिकता देने में राज्य के इशारे पर 1066 दिनों की देरी को माफ कर दिया था।
ट्रायल कोर्ट ने 2014 में मुकदमे का फैसला सुनाया। हरियाणा राज्य ने दिसंबर 2017 में अपील दायर की। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह और कुछ नहीं बल्कि उसे परेशान करने का तरीका है।
राज्य का मामला यह है कि देरी जानबूझकर नहीं की गई, क्योंकि केस फाइल हरियाणा सरकार को कानूनी सलाहकार को सिफारिश के लिए भेजी गई, जो जिला अटॉर्नी की राय से सहमत थे और राज्य को अपील दायर करने का निर्देश दिया। पत्र संबंधित अधिकारी को चिह्नित किया गया, जिसने अपील दायर करने के संबंध में आवश्यक कागजात तैयार नहीं किए और वह फाइल खो गई, जिसके कारण 1066 दिनों की देरी हुई।
हाईकोर्ट ने पुनर्विचार याचिका स्वीकार करते हुए कहा:
"अपीलकर्ताओं ने प्रथम अपीलीय अदालत के समक्ष अपील दायर करने में घोर लापरवाही की, क्योंकि लंबे समय तक उनकी ओर से निष्क्रियता के कारण तीन साल की देरी हुई है।
केस टाइटल: रोहिताश यादव बनाम हरियाणा राज्य और अन्य
साइटेशन: CR-7696-2019 (O&M)
कोरम: जस्टिस दीपक गुप्ता
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