हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों पर पूर्णकालिक रूप से काम नहीं करने का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

Update: 2022-09-15 06:26 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली सरकार द्वारा शहर के उत्तर पूर्व जिले में दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में छात्रों को पूर्णकालिक शिक्षा देने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर जवाब मांगा। इस याचिका में आरोप लगाया गया कि बच्चों को या तो केवल 2 घंटे की दैनिक शिक्षा दी जाती है या वैकल्पिक दिनों में पढ़ाया जा रहा है।

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने नागरिक अधिकार समूह सोशल ज्यूरिस्ट के इस कदम पर नोटिस जारी किया, जिसमें दावा किया गया कि सरकारी स्कूलों में अपनाई गई उक्त शिक्षण पद्धति एक लाख से अधिक छात्रों की शिक्षा को प्रभावित कर रही है।

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को मामले में जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया, जबकि इसे 7 दिसंबर को सुनवाई के लिए पोस्ट किया।

याचिका में जिन स्कूलों पर प्रकाश डाला गया, उनमें एसकेवी खजूरी, एसबीवी खजूरी, जीजीएसएसएस सोनिया विहार, जीबीएसएसएस सोनिया विहार, जीजीएसएसएस खजूरी, जीबीएसएसएस करावल नगर और जीजीएसएसएस सभापुर और करावल नगर के अन्य स्कूल हैं।

याचिका में कहा गया,

"प्रतिवादी सरकार की ओर से निष्क्रियता छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के तहत गारंटीकृत बच्चों के नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के साथ पढ़ा जाता है।"

याचिकाकर्ता संगठन का दावा है कि उसने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल से उक्त स्कूलों में पढ़ रहे लाखों छात्रों की शिक्षा और भविष्य की सुरक्षा के लिए तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने का अनुरोध करते हुए दो पत्र लिखे, लेकिन अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

याचिका में कहा गया,

"यह वास्तव में खतरनाक स्थिति है, जहां हमारे हाशिए के छात्रों को उनकी शिक्षा के मामले में दिल्ली सरकार से पूरा ध्यान नहीं मिल रहा है।"

याचिका में आगे कहा गया कि दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों का यह कर्तव्य है कि वे बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 में निर्धारित मानदंडों और मानकों के अनुसार छात्रों को शिक्षा प्रदान करें।

इस प्रकार याचिका में कहा गया कि उक्त अधिनियम के अनुसार, स्कूलों में न्यूनतम कार्य दिवस 200 और कक्षा I से V के लिए न्यूनतम 800 शिक्षण घंटे, 220 कार्य दिवस और कक्षा VI से VIII के लिए 1000 शिक्षण घंटे एक साथ होना चाहिए।

केस टाइटल: सोशल ज्यूरिस्ट, ए सिविल राइट्स ग्रुप बनाम एनसीटी ऑफ दिल्ली सरकार

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