हाथरस केसः संयुक्त राष्ट्र ने भारत में महिलाओं के खिलाफ लगातार हो रहे यौन हिंसा के मामलों पर चिंता व्यक्त की

Update: 2020-10-06 04:28 GMT

संयुक्त राष्ट्र ने भारत में महिलाओं के खिलाफ लगातार हो रहे यौन हिंसा के मामलों पर चिंता व्यक्त की है।

हाथरस और बलरामपुर की घटनाओं के मद्देनजर जारी एक बयान में, संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि ये मामले याद दिलाते हैं कि वंचित समूहों की महिलाओं और लड़कियों को लिंग आधारित हिंसा का अधिक खतरा है।

यूएन के भारत स्‍थ‌ित रेजिडेंट कोऑर्ड‌िनेटर ने कहा है, "हाथरस और बलरामपुर में कथित बलात्कार और हत्या के हालिया मामले याद दिलाते हैं कि कई सामाजिक संकेतकों पर की गई प्रभावशाली प्रगति के बावजूद, वंचित सामाजिक समूहों की महिलाओं और लड़कियों को ज्यादा खतरों का सामना करना पड़ता है और उन्हें लिंग आधारित हिंसा का अधिक खतरा होता है।"

यह आग्रह किया गया कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपराधियों को सजा मिले और परिवारों को समय पर न्याय, सामाजिक समर्थन, परामर्श, स्वास्थ्य देखभाल और पुनर्वास के लिए सशक्त बनाया जाए।

यूएन ने कहा, "लिंग आधारित हिंसा को बढ़ावा देने वाले सामाजिक मानदंडों और पुरुषों और लड़कों के व्यवहार पर चर्चा की जानी चाहिए।"

उन्होंने कहा, "भारत सरकार द्वारा महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के लिए उठाए जा रहे कदमों का स्वागत और आवश्यक है। हम दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान का समर्थन करते हैं।"

यूएन ने कहा कि वह महिलाओं के खिलाफ हिंसा को संबोधित करने के लिए सरकार और नागरिक समाज को निरंतर समर्थन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

"जैसे कि हम बेहतर भारत के निर्माण के संकल्प के साथ COVID-19 की चुनौती से लड़ रहे हैं, पूर्वाग्रहों और लैंगिक पूर्वाग्रहों से रहित सम्मानजनक संबंधों का निर्माण करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।"

विदेश मंत्रालय ने भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर की टिप्पणियों पर नारज़गी जाहिर की और उन्हें "अनुचित" करार दिया है।

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता, अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कुछ मामलों के बारे में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर द्वारा कुछ अनुचित टिप्पणियां की गई हैं। भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर को पता होना चाहिए कि इन मामलों को सरकार ने बेहद गंभीरता से लिया है। चूंकि जांच प्रक्रिया चल रही है, इसलिए एक बाहरी एजेंसी द्वारा कोई भी अनावश्यक टिप्पणी नहीं की जा रही है। संविधान भारत के सभी नागरिकों के लिए समानता की गारंटी देता है। एक लोकतंत्र के रूप में, हमारे पास समाज के सभी वर्गों को न्याय प्रदान करने का समय-परीक्षणित रिकॉर्ड है।"

खबरों के अनुसार, 14 सितंबर को, हाथरस में 19 वर्षीय एक दलित युवती का अपहरण कर लिया गया था, जिसके साथ उच्च-जाति के चार युवकों ने सामूहिक बलात्कार किया। उन्होंने उसकी हड्डियों तोड़कर, और जीभ काटकर उसे क्रूर यातना दी। 29 सितंबर को युवती का निधन हो गया। बाद में युवती के परिजनों ने शिकायत की कि उनकी सहमति के बिना आधी रात में पुलिस युवती का अंतिम संस्कार किया गया। हालांकि कार्रवाई के खिलाफ आक्रोश बढ़ने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक बयान जारी किया, जिसमें बलात्कार से इनकार किया गया।

सोमवार को, उत्तर प्रदेश पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ राजद्रोह, सामाजिक विवाद को बढ़ावा देने आदि के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि विरोध प्रदर्शन राज्य को बदनाम करने की "अंतर्राष्ट्रीय साजिश" का हिस्सा हैं।

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में 22 वर्षीय दलित महिला के साथ दो युवकों ने कथित रूप से बलात्कार किया, जिसकी बाद में मौत हो गई। पीड़िता की मां ने आरोप लगाया है कि बलात्कारियों ने उसकी बेटी के पैर और पीठ तोड़ दिए थे। हालांकि पुलिस ने आरोप से इनकार किया।

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