अनुच्छेद 19(1)(e) विदेशी नागरिकों के लिए नहीं: गुजरात हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी नागरिक के निर्वासन के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया

Update: 2022-07-25 04:50 GMT

गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में पाकिस्तानी नागरिक की उस रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पुलिस अधीक्षक के फैसले को चुनौती दी गई थी। इस फैसले में उसे नोटिस मिलने के 24 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है।

जस्टिस एएस सुपेहिया ने दोहराया:

"वर्तमान मामले में निस्संदेह याचिकाकर्ता पाकिस्तानी नागरिक है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिपादित कानून के अनुसार, उस पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 को लागू नहीं होते, इसलिए उसे भारत क्षेत्र में प्रवेश करने और रहने का कोई अधिकार नहीं है। वह प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा पारित आदेश दिनांक 14.07.2022 के अनुसार, कार्य करने के लिए बाध्य है।"

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसका जन्म और पालन-पोषण भारत में हुआ है और उसकी शादी भी भारतीय नागरिक से हुई है। इस तरह वह भारतीय नागरिकता अधिनियम की धारा 5 (1) (सी) के तहत नागरिकता का हकदार है। उसने अधिकारियों के फैसले को इस आधार पर चुनौती दी कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

एएसजी ने विरोध किया कि याचिकाकर्ता कानूनी अनुमति और अधिकार के बिना लगभग 40 वर्षों से भारत में रह रहा है। यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा पहले दायर दीवानी मुकदमे में आंशिक रूप से फैसला सुनाया गया और प्रतिवादी अधिकारियों को नागरिकता अधिनियम की धारा 9 के तहत केंद्र सरकार के निर्णय तक याचिकाकर्ता को निर्वासित करने से रोक दिया गया। हालांकि, इस आदेश को अपीलीय अदालत ने खारिज कर दिया। उक्त निर्णय को याचिकाकर्ता द्वारा चुनौती नहीं दी गई और रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी प्रस्तुत नहीं किया गया जो यह दर्शाता हो कि निर्णय किसी उच्च मंच के समक्ष चुनौती दी गई है। इस प्रकार, उन्होंने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के तहत वर्तमान याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता ने केवल 16.07.2022 को नागरिकता का दावा करने के लिए आवेदन दायर किया था।

हालांकि, यह नोट किया गया कि पुलिस अधीक्षक के आक्षेपित आदेश को चुनौती देने वाली वर्तमान रिट याचिका गलत है, क्योंकि आक्षेपित आदेश उपर्युक्त अपीलीय कार्यवाही में पारित आदेश पर आधारित है, जिसे याचिकाकर्ता द्वारा चुनौती नहीं दी गई थी।

कोर्ट ने कहा,

"वर्तमान मामले में निर्विवाद रूप से याचिकाकर्ता ने अपील दायर करके उपरोक्त आदेश को चुनौती नहीं दी है और चूंकि 14.07.2022 का आक्षेपित आदेश नियमित सिविल अपील में पारित उक्त आदेश दिनांक 12.07.2022 पर आधारित है, इसलिए याचिकाकर्ता यह तर्क नहीं दे सकता कि उसे आदेश पारित करने से पहले सुनवाई का अधिकार है, क्योंकि गोधरा में प्रधान जिला न्यायाधीश, पंचमहल के न्यायालय द्वारा पारित आदेश के मद्देनजर ऐसा अधिकार कमजोर हो जाएगा।"

कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता निस्संदेह पाकिस्तान का नागरिक है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिपादित कानून के अनुसार, उस पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 को लागू नहीं होते है, इसलिए उसे भारत के क्षेत्रों में प्रवेश करने और रहने का कोई अधिकार नहीं है। यह प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा पारित आदेश के अनुसार, कार्य करने के लिए बाध्य है।

इसी के साथ याचिका खारिज कर दी गई।

केस नंबर: सी/एससीए/13566/2022

केस टाइटल: अकील वलीभाई पिपलोडवाला (लोखंडवाला) बनाम जिला पुलिस अधीक्षक, गोधरा में पंचमहल

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