डोमिनिका से अमेरिका के रास्ते में लापता हुए 9 भारतीयों को ढूंढने में निष्क्रियता पर गुजरात हाईकोर्ट हुआ नाराज़, विदेश मंत्रालय की आलोचना की
गुजरात हाईकोर्ट ने संयुक्त राज्य अमेरिका की गैरकानूनी यात्रा के दौरान मार्च में लापता हुए नौ व्यक्तियों का पता लगाने और उन्हें वापस लाने में कार्रवाई की कमी के लिए पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय (एमईए) को फटकार लगाई।
चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध पी मायी की खंडपीठ ने केंद्र की प्रतिक्रिया पर कड़ा असंतोष व्यक्त किया, जिसमें विदेश मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत अस्पष्ट रिपोर्ट की आलोचना की गई। इसमें लापता व्यक्तियों का पता लगाने के लिए ठोस प्रयासों का अभाव है।
न्यायालय का आदेश पढ़ा,
"हमारे द्वारा दिनांक 18.09.2023 को पारित स्पष्ट आदेश के बावजूद, प्रतिवादी नंबर 2 अर्थात् सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्पष्ट स्टेटस रिपोर्ट दायर नहीं की गई। स्टेटस रिपोर्ट आज न्यायालय को दी गई। जबकि विदेश मंत्रालय, नई दिल्ली के सीपीवी डिवीजन में निदेशक (सीपीवी) का हलफनामा अधूरा है, जो उसमें उल्लिखित किसी भी संचार द्वारा समर्थित नहीं है।”
चीफ जस्टिस अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान सवाल किया,
“इन व्यक्तियों के ठिकाने का पता लगाने का अन्य तरीका क्या है? क्या आप पता लगा सकते हैं कि क्या वे किसी प्रकार की जेल में बंद हैं या जहां बिना पासपोर्ट के अवैध रूप से यात्रा करने वाले लोगों को हिरासत में लिया गया है? ये जानी-मानी जगहें हैं। क्या आप यह कर सकते हैं?"
अदालत के समक्ष मामले में दायर जनहित याचिका के अनुसार, इन नौ व्यक्तियों के पास डोमिनिका और एंटीगुआ सरकारों द्वारा जारी वैध वीजा है। जनहित याचिका में आगे कहा गया कि वे शुरू में डोमिनिका पहुंचे और वहां कुछ समय बिताने के बाद एंटीगुआ के रास्ते में है। एंटीगुआ के छोटे जहाज ने उन्हें आगे की यात्रा के लिए डोमिनिका से उठाया। वे कथित तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने और शरण के लिए आवेदन करने की भी मांग कर रहे हैं।
इससे पहले हाईकोर्ट ने राजनयिक चैनलों के माध्यम से की गई कार्रवाइयों पर केंद्र से स्थिति रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि, शुक्रवार को पेश की गई केंद्र की रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया कि विभिन्न देशों में स्थानीय अधिकारियों ने भारतीय दूतावासों को जवाब नहीं दिया और दूतावासों ने विदेश मंत्रालय के पत्रों का जवाब नहीं दिया।
विदेश मंत्रालय को एकमात्र प्रतिक्रिया सूरीनाम में भारतीय राजदूत से मिली, जिन्होंने जानकारी दी कि आठ व्यक्तियों ने डोमिनिका के राष्ट्रमंडल की यात्रा की और नौवें व्यक्ति, सुधीर पटेल, सेंट लूसिया गए। अफसोस की बात है कि इन देशों ने अपनी उपस्थिति की पुष्टि नहीं की।
चीफ जस्टिस अग्रवाल ने टिप्पणी की,
“हलफनामे में आपके द्वारा किए गए प्रयासों को नहीं दर्शाया गया। यह केवल विभिन्न दूतावासों को लिखा गया पत्र है और उन्होंने आपको कोई जवाब नहीं दिया।”
चीफ जस्टिस अग्रवाल ने प्रयास की कथित कमी पर निराशा व्यक्त करते हुए आगे कहा,
“यह किस प्रकार की स्थिति रिपोर्ट है? आप हमें कहानी सुना रहे हैं? आप कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर रहे हैं। अब यह मजाक बन गया है? आप हमारा, इस न्यायालय का मज़ाक उड़ा रहे हैं।''
अपने आदेश में अदालत ने कहा,
“पत्र लिखने के अलावा, 9 लापता भारतीयों के ठिकाने का पता लगाने के लिए प्रतिवादी नंबर 2 की ओर से कुछ भी नहीं किया गया। प्रतिवादी नंबर 2 की ओर से निष्क्रियता पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सुधार करने का अवसर देने के लिए मामले को 29.11.2023 को पोस्ट किया जाता है। सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार का व्यक्तिगत हलफनामा अगली निर्धारित तिथि पर दाखिल किया जाएगा।”
मामले की अगली सुनवाई अब 29 नवंबर को तय की गई और विदेश मंत्रालय सचिव से की गई कार्रवाई पर हलफनामा दाखिल करने को कहा गया।
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार उन जगहों पर नजर रखे, जहां बिना पासपोर्ट के यात्रा करने वालों को रखा जाता है।
अपीयरेंस: आवेदक नंबर 1,2,3 के लिए अनुराग आर राठौड़ (9315) यतिन ओझा, सीनियर एडवोकेट एचजे ढोलकिया (5862) आवेदक नंबर 1,2,3 के लिए मासूम के शाह (6516) आवेदक(ओं) के लिए नंबर 1,2,3, प्रतिद्वंद्वी(ओं) के लिए नंबर 3,4,5,6,7 अग्रिम प्रतिलिपि सरकारी वकील/पीपी को प्रतिद्वंद्वी(ओं) नंबर 1 क्षितिज एम अमीन (7572) प्रतिद्वंदी नंबर 2 के लिए।
केस टाइटल: बलवंतसिंह सेतनसिंह वाघेला बनाम गृह मंत्रालय
केस नंबर: आर/रिट याचिका (पीआईएल) (रिट याचिका (पीआईएल)) नंबर 90/2023
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