"ईश्वर हमारे भीतर है और ईश्वर सभी जगहों पर है"; बॉम्बे हाईकोर्ट ने जैन समुदाय के सदस्यों को पर्यूषण पर्व पर मंदिरों में पूजा करने की अनुमति देने से इनकार किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को जैन समुदाय के सदस्यों को पर्यूषण पर्व (15 अगस्त से 23 अगस्त तक) की पवित्र अवधि में मंदिरों में पूजा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि इस समय प्रत्येक समझदार व्यक्ति का कर्तव्य, धार्मिक कर्तव्यों के साथ सार्वजनिक कर्तव्यों को संतुलित करना है और बाकी मानव जाति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना है।
जस्टिस एसजे कथावाला और जस्टिस माधव जामदार की खंडपीठ ने अंकित वोरा और श्री ट्रस्टी आत्म कमल लब्धिशुरिश्वरजी जैन ज्ञानमंदिर ट्रस्ट की ओर से दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट प्रकाश शाह और एडवोकेट प्रफुल्ल शाह पेश हुए, जबकि राज्य सरकार की ओर से जीपी पूर्णिमा कांथारिया और केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह के उपस्थित हुए।
यह मामला 11 अगस्त को सुनवाई के लिए आया था और याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई थी कि 30 मई, 2020 को, भारत सरकार, गृह मंत्रालय ने धार्मिक स्थलों/पूजा स्थलों को 8 जून, 2020 से खोलने का आदेश जारी कर चुकी है, और 4 जून, 2020 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी धार्मिक स्थलों पर COVID-19 के संक्रमण को रोकने के लिए एसओपी जारी किया था।
याचिका में कहा गया था कि महाराष्ट्र सरकार ने स्पा, जिम, ब्यूटी पार्लर, नाई की दुकान, शराब की दुकान, मॉल, मार्केट कॉम्प्लेक्स आदि खोलने की अनुमति दी, और सीमित संख्या में विवाह समारोहों और अंतिम संस्कार समारोहों में शामिल होने की भी अनुमति दी, लेकिन धार्मिक स्थलों/पूजा स्थलों को खोलने की अनुमति अब तक नहीं दी गई है।
याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर विचार करने के बाद कोर्ट ने उन्हें सचिव, आपदा प्रबंधन, राहत और पुनर्वास के समक्ष एक प्रस्तुतिकरण देने को कहा था। जिसके बाद सचिव ने गुरुवार को अदालत के समक्ष अपनी राय दी थी।
उन्होंने कहा था, "11 अगस्त, 2020 तक, महाराष्ट्र में COVID-19 संक्रमितों की कुल संख 5,35,601 थी और संक्रमण से मरे लोगों की कुल संख्या 18,306 है। इनमें से अकेले मुंबई में, संक्रमितों की कुल संख्या 1,25,224 पाई गई है और मुंबई सिटी, मुंबई उपनगरीय जिला, ठाणे, पालघर और रायगढ़ जिले में, जो मुंबई महानगर क्षेत्र का हिस्सा हैं, संक्रमितों की संख्या 272,104 हैं और मृतकों की संख्या 10,962 है।
उपरोक्त आंकड़ों को रखते हुए, सचिव ने कहा कि स्पष्ट रूप से आकंड़े दिखाते हैं कि महाराष्ट्र भारत में सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में से है। हालांकि भारत सरकार ने 8 जून, 2020 से धार्मिक स्थलों/ पूजा स्थलों को खोलने की अनुमति दी है, जिसके लिए एक अलग मानक संचालन प्रक्रिया जारी की गई है। भारत सरकार ने अपने सभी आदेशों में, लगातार और स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि, "स्थिति के आकलन के आधार पर राज्य/संघ शासित क्षेत्र, प्रतिबंधित क्षेत्रों के बाहर गतिविधियों को प्रतिबंधित कर सकते हैं या आवश्यक समझे जाने पर इस प्रकार के प्रतिबंध लगा सकते हैं।"
सचिव ने कहा कि ,इसलिए, महाराष्ट्र में, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की मौजूदा स्थितियों को देखते हुए, सभी पूजा स्थलों को बंद करने और किसी भी धार्मिक समागम को अनुमति नहीं देने का निर्णय लिया गया है।
सचिव ने याचिकाकर्ताओं को याद दिलाया कि अब तक प्रतिबंधों का पालन किया गया है, वह गुड़ी पड़वा, रहा हो, श्री राम नवमी रही हो, हनुमान जयंती, महावीर जयंती, ईस्टर , बुद्ध पुर्णिमा, अक्षय तृतीया, ईद, वट पूर्णिमा, पंढरपुर की विभिन्न दिंडियां हों, आषाढ़ी एकादशी, गुरु पुर्णिमा, नाग पंचमी, बकरीद, सभी श्रवण सोमवार (सोमवार), रक्षा बंधन रहा हो या गोकुलाष्टमी और दही हांडी रही हो।
सचिव ने कहा कि मंदिरों को खोलने के खतरे को आंध्र प्रदेश स्थिति तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर है के रूप में देखा जा सकता है। उक्त मंदिर के खुलने से कोरोनावायरस संक्रमितों की बाढ़ आ गई है। तिरुपति मंदिर के 743 कर्मचारियों ने COVID-19 पॉजीटिव पाया गया है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा,
"यह ध्यान रखते हुए कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सर्वोपरि है और अजीबोगरीब महामारी, जिसने दुनिया को जकड़ लिया है, हमारे देश का बहुत नुकसान किया है...हम सचिव, आपदा प्रबंधन, राहत और पुनर्वास की ओर से इस समय पूजा स्थल / मंदिर नहीं खोलने के लिए दिए गए कारणों से सहमत होने के इच्छुक हैं।
इस आदेश की समाप्ती से पहले, हम एक बार फिर दोहराएंगे कि इस समय हर समझदार व्यक्ति का कर्तव्य है कि वे सार्वजनिक कर्तव्यों और धार्मिक कर्तव्यों के बीच संतुलन स्थापित करें और शेष मानव जाति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें। इस संबंध में, हम एक बार फिर वही कहेंगे, जो हमने याचिकाकर्ताओं को सुनवाई के समय पहले ही बता दिया था कि "ईश्वर हमारे भीतर है" और "ईश्वर हर जगह है"।
हालांकि, पीठ ने रिट याचिकाओं का निस्तारण नहीं किया और यह ध्यान में रखते हुए कि वर्तमान प्रतिबंध 31 अगस्त, 2020 तक लागू हैं, 7 सितंबर, 2020 को "निर्देशों के लिए" सुरक्षति रखा।
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