'अखबारों की रिपोर्ट पर आधारित सामान्य आरोप जनहित में संज्ञान लेने का कारण नहीं होने चाहिए': राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2022-02-14 06:15 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि समाचार पत्रों की रिपोर्टों के आधार पर केवल सामान्य कथन/आरोप जनहित में संज्ञान लेने का कारण नहीं होने चाहिए।

उक्त याचिका राज्य में सभी बोरवेल को कवर करने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश देने की प्रार्थना के साथ दायर की गई थी ताकि दुर्घटना के माध्यम से मनुष्य या जानवर को कोई हताहत न हो।

याचिका एयर ट्री फाउंडेशन सोसाइटी ने अपने सचिव मनीष शर्मा के माध्यम से दायर की थी।

चीफ जस्टिस अकील कुरैशी और जस्टिस सुदेश बंसल ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा,

"समाचार पत्रों की रिपोर्टों के आधार पर केवल सामान्य कथन/आरोप सार्वजनिक हित में संज्ञान लेने का कारण नहीं होना चाहिए।"

अदालत ने याचिकाकर्ता को उचित सामग्री के साथ एक नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की जानकारी का याचिका का मुख्य स्रोत और याचिका में परिणामी प्रार्थना अखबार की रिपोर्ट है।

अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता चाहता है कि जनहित याचिका में इस मुद्दे की गंभीरता से जांच की जा सकती है तो यह उम्मीद की जाती है कि याचिकाकर्ता पहले उचित शोध करता है, सामग्री एकत्र करता है और समस्या के पैमाने और गंभीरता के बारे में अदालत के ध्यान में लाता है।

अदालत ने राय दी,

"याचिका को पढ़ने से पता चलता है कि याचिकाकर्ता की जानकारी का मुख्य स्रोत और याचिका में परिणामी प्रार्थना समाचार पत्र की रिपोर्ट है। यदि याचिकाकर्ता चाहता है कि जनहित याचिका में इस मुद्दे की गंभीरता से जांच की जा सकती है तो यह उम्मीद की जाती है कि याचिकाकर्ता पहले उचित शोध करता है, सामग्री एकत्र करता है और मुद्दे के पैमाने और गंभीरता के बारे में इसे न्यायालय के संज्ञान में लाता है।"

केस शीर्षक: एयर ट्री फाउंडेशन सोसाइटी बनाम राजस्थान राज्य

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (राजस्थान) 59

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