रात 1 बजे अवैध रूप से की गई गिरफ्तारी: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने 2.5 साल बाद महिला डॉक्टर को दी जमानत
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महिला डॉक्टर को 2.5 वर्ष की जेल काटने के बाद जमानत दी। यह निर्णय तब आया जब अदालत ने पाया कि उनकी गिरफ्तारी रात में बिना किसी न्यायिक मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति के की गई, जो आपराधिक प्रक्रिया संहिता में निर्धारित अनिवार्य सुरक्षा प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है।
डॉ. संगीता दत्ता को वर्ष 2023 में उनके पति डॉ. वलियुल इस्लाम और तीन अन्य व्यक्तियों के साथ उनके पालक बच्चे को कथित रूप से प्रताड़ित करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
जस्टिस अंजन मोनी कलिता ने कहा कि यदि किसी महिला को सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले गिरफ्तार करना आवश्यक हो तो केवल असाधारण परिस्थितियों में ही ऐसा किया जा सकता है। ऐसी किसी भी स्थिति में महिला पुलिस अधिकारी को लिखित रिपोर्ट के आधार पर संबंधित क्षेत्राधिकार वाले प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। अदालत ने पाया कि न तो ऐसी कोई अनुमति रिकॉर्ड में थी और न ही सुनवाई के दौरान प्रस्तुत की गई, जिसके चलते गिरफ्तारी को अवैध माना गया।
अदालत ने यह भी पाया कि गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें गिरफ्तारी के वास्तविक कारणों से अवगत नहीं कराया गया, जो संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 22(1) का उल्लंघन है। साथ ही गिरफ्तारी ज्ञापन पर किसी परिजन या स्थानीय सम्मानित व्यक्ति के हस्ताक्षर भी नहीं थे, जैसा कि संहिता की धारा 41बी(बी)(i) में अनिवार्य किया गया।
मामला उस समय दर्ज हुआ था जब आरोप लगा कि नाबालिग बालिका को गंभीर रूप से प्रताड़ित किया गया उसे तेज धूप में छत पर बांधकर भोजन और पानी से वंचित रखा गया। इस आधार पर POCSO Act, IPC और JJ Act के तहत आरोप लगाए गए।
अदालत ने गिरफ्तारी प्रक्रिया की जांच करते हुए पाया कि गिरफ्तारी नोटिस में कोई ठोस आधार ही दर्ज नहीं था। इसके अलावा रिकॉर्ड में ऐसा कोई दस्तावेज नहीं मिला, जिसमें किसी परिजन या नामित व्यक्ति को गिरफ्तारी की सूचना भेजी गई हो, जो स्वयं एक और गंभीर चूक है।
हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि CrPC की धाराओं 50, 50ए, 41बी(बी)(i) और 46(4) के सामूहिक उल्लंघन से गिरफ्तारी पूर्णतः अवैध और अस्थायी हो जाती है। इसलिए आवेदक को जमानत देने का मामला पूरी तरह सिद्ध होता है।
इसी आधार पर अदालत ने डॉ. संगीता दत्ता को ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया।