जिन्हें वैक्सीन के दोनों डोज़ लग गए, उन्हें दुर्गा पूजा पंडालों में प्रवेश, अंजलि, आरती, सिंदूर खेला जैसे अनुष्ठानों की अनुमति: कलकत्ता हाईकोर्ट ने प्रतिबंधों में ढील दी

Update: 2021-10-08 11:25 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस साल दुर्गा पूजा से संबंधित प्रतिबंधों में छूट दी है। कोर्ट ने, जिन्हें कोविड वैक्सीन के दोनों डोज़ लग चुके हैं, उन्हें पूजा पंडालों में अंजलि, आरती, सिंदूर खेला आदि जैसे अनुष्ठानों में भाग लेने की अनुमति दी है।

जस्टिस अनिरुद्ध रॉय और जस्टिस आईपी ​​मुखर्जी की बेंच ने हालांकि आगाह किया है कि पिछले साल के निर्देशों के अनुसार , छोटे पंडालों में केवल 15 व्यक्तियों को प्रवेश की अनुमति होगी और बड़े पंडालों में 25 से 30 व्यक्तियों को प्रवेश की अनुमति होगी।

कोर्ट ने कहा,

"न्यायालय के उक्त आदेशों द्वारा किसी भी समय पंडाल में प्रवेश की संख्या अधिकतम व्यक्तियों की अनुमेय सीमा तक सीमित होगी। इस प्रकार का प्रवेश अप्रतिबंधित होगा, बशर्ते कि प्रत्येक आगंतुक के दोनों टीके लग चुके हों और उन्होंने मास्‍क लगाया हो।"

पीठ ने आगे आदेश दिया कि पूजा आयोजकों को उपरोक्त प्रवेश आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा और चूक की स्थिति में संबंधित पंडाल में सभी गतिविधियों को रद्द कर दिया जाएगा।

अदालत ने आगे कहा,

"प्रवेश आवश्यकता अनुपालन की जांच प्रवेश द्वार पर पूजा आयोजकों द्वारा की जाएगी। स्पॉट सत्यापन पुलिस द्वारा किया जाए। यदि कोई पूजा संगठन चूक करते पाया जाता है तो उस पंडाल में पूजा सहित अन्य सभी गतिविधियों को पुलिस द्वारा तत्काल रद्द कराया जाएगा।"

कोर्ट ने हालांकि स्पष्ट किया कि पिछले साल 19 अक्टूबर, 2020 के आदेश के तहत जारी अन्य सभी निर्देश लागू रहेंगे।

कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने एक अक्टूबर को कहा था कि जारी किए गए पूर्व दिशा-निर्देश इस वर्ष भी स्थगित रहेंगे और तदनुसार यह माना गया कि सभी पंडालों को महामारी को देखते हुए नो एंट्री जोन बनाया जाएगा।

कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर ये निर्देश जारी किए थे, जिसमें राज्य के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी कि यह सुनिश्चित किया जाए कि शहर भर में पूजा पंडालों में बड़ी भीड़ न हो। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया था कि कोर्ट को कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए पिछले साल की तरह ही प्रतिबंध लगाना चाहिए।

पिछले वर्ष जारी दिशा-निर्देश

• जनहित में सभी पंडालों में जहां इस वर्ष दुर्गा पूजा मनाई जा रही है, जनता के लिए नो-एंट्री जोन बनाए गए हैं। इसके अलावा, छोटे पंडालों के लिए, सभी तरफ पंडालों के छोर से परे पांच मीटर का क्षेत्र और बड़े पंडालों के लिए, सभी तरफ पंडाल के छोर से परे 10 मीटर का क्षेत्र नो-एंटी जोन का हिस्सा होगा।

• एकमात्र अपवाद पुजारी सहित नामित कर्मियों के लिए होगा, जिन्हें पूजा आयोजकों द्वारा अग्रिम रूप से पहचाना जाएगा और जिनके नाम किसी भी समय चेक किए जाने के लिए प्रदर्शित किए जाएंगे। छोटे पंडालों में 15 व्यक्तियों के नाम सूची में होंगे जिनकी पहुंच हर समय नो-एंट्री जोन में हो सकती है। बड़े से बड़े पंडालों के संबंध में संख्या 25 से 30 होगी।

• ये निर्देश पूरे राज्य में सभी सार्वजनिक पूजा पंडालों पर लागू होंगे, जिसमें राज्य से अनुदान प्राप्त करने वाले 34,000 पूजा पंडाल शामिल हैं।

• यह स्थानीय पुलिस प्रशासन के लिए खुला होगा कि वह यह पहचान करे कि प्रतिबंधित क्षेत्र के लिए कौन से पंडाल को छोटा पंडाल माना जाएगा, जो सभी तरफ के पंडालों के सबसे दूर के छोर से 5 मीटर की दूरी पर होगा।

• इसी तरह, स्थानीय पुलिस अधिकारी यह पहचानेंगे कि किस बड़े पूजा पंडाल को नो-एंट्री जोन के रूप में संचालित करने के लिए सभी तरफ से पंडालों के छोर से 10 मीटर की दूरी की आवश्यकता होगी।

• यह आवश्यक है, विशेष रूप से राज्य भर के छोटे शहरों में, ऐसे स्थानों पर स्थानीय मीडिया द्वारा भी जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए ताकि लोगों से अनुरोध किया जा सके कि वे COVID-19 के समय में दूरी बनाए रखें और जत्‍थे में सड़कों पर न उतरें।

कोर्ट ने कहा था,

"अदालत को उम्मीद है कि यह संदेश पुलिस और कार्यकारी प्राधिकरण द्वारा पूरे राज्य में लोगों को जागरूक करने के लिए फैलाया गया है कि यह उनके हित में है कि एक हद तक आत्म-संयम का प्रयोग किया जाना चाहिए। राज्य और पुलिस अधिकारी इस आदेश को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए तत्काल उचित कदम उठाएंगे।"

केस शीर्षक: अजय कुमार डे बनाम पश्चिम बंगाल राज्य

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