अवैध रूप से रह रहे विदेशी प्रवासियों के लिए डिटेंशन सेंटर: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार को निर्माण पूरा करने, बंदियों को स्थानांतरित करने के लिए 45 दिन का समय दिया
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अवैध रूप से रह रहे विदेशी प्रवासियों की डिटेंशन से संबंधित एक याचिका में असम सरकार को मटिया, गोलपारा में एक डिटेंशन सेंटर का निर्माण पूरा करने और उसके बाद बंदियों को स्थानांतरित करने के लिए 45 दिनों का समय दिया।
न्यायमूर्ति कल्याण राय सुराणा ने असम सरकार, गृह और राजनीतिक विभाग के सचिव को भी 30 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई के लिए पोस्ट करते हुए 45 दिनों के अंत में निर्माण की स्थिति के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
विकास संथानु बोरठाकुर, अबंती दत्ता, दीपिका सरकार द्वारा याचिका दायर की गई थी, जिसमें इस मुद्दे को उठाया गया कि विदेशियों / अवैध प्रवासियों और अन्य जो निर्वासन का इंतजार कर रहे हैं या अपने मूल के देशों में प्रत्यावर्तन या अपने संबंधित दावे के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहे हैं, को रखने के उद्देश्य से डिटेंशन सेंटर को संचालित करने की आवश्यकता है।
इससे पहले हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उक्त अवैध रूप से रह रहे विदेशी प्रवासियों को जेल परिसर के बाहर डिटेंशन सेंटरों में स्थानांतरित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया था।
सरकार ने इसके मद्देनजर कोर्ट को अवगत कराया कि मटिया में उक्त डिटेंशन सेंटर के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। तदनुसार, महाधिवक्ता ने निर्माण गतिविधि को पूरा करने और राज्य भर के विभिन्न डिटेंशन सेंटर में वर्तमान में बंद 177 बंदियों को स्थानांतरित करने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा। यह कहा गया कि उक्त बंदी आवश्यक दस्तावेज प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं, जिसे राज्य उन्हें रिहा करने के लिए जोर दे रहा है।
अदालत ने कहा कि,
"चूंकि न्यायालय महाधिवक्ता की प्रार्थना को अनुचित नहीं पाया और न्यायालय प्रस्तावित डिटेंशन सेंटर के निर्माण को पूरा करने और स्थानांतरित करने के लिए राज्य से प्रार्थना के रूप में 45 (पैंतालीस) दिनों का समय देने के लिए इच्छुक है।"
असम राज्य ने हाल ही में 'डिटेंशन सेंटर' का नाम बदलकर 'ट्रांजिट कैंप' कर दिया।
केस का शीर्षक: शांतनु बोरठाकुर बनाम असम राज्य