निजी अस्पतालों का समय पर उपचार ना दे पाना भी अनुच्छेद 21 का उल्लंघनः पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि सरकारी अस्पताल, चिकित्सा अधिकारी चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं, और किसी जरूरतमंद व्यक्ति को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने में विफलता, अगर वह निजी अस्पतालों की ओर से भी की गई है तो यह अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने राज्य में COVID-19 स्थिति के संबंध में याचिकाओं के एक समूह पर, जिनमें चिकित्सा अवसंरचना, COVID की दवाओं की उपलब्धता और ऑक्सीजन आपूर्ति के मुद्दों पर भी रोशनी डाली गई थी, की सुनवाई की और कई निर्देश जारी किए।
न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
- राज्य संचालित सरकारी अस्पताल और उसमें कार्यरत चिकित्सा अधिकारी मानव जीवन की रक्षा के लिए चिकित्सा सहायता प्रदान कने के लिए बाध्य हैं। इस प्रकार के उपचार के जरूरतमंद व्यक्ति को समय पर चिकित्सा सहायत प्रदान करने में विफलता, वह निजी अस्पतालों की ओर से भी की गई है तो अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
- बिहार सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव, सरकार द्वारा जारी 1 मई, 2021 की अधिसूचना में नामित जनप्रतिनिधि पंजीकरण अधिनियम, नगरपालिका अधिनियम और पंचायत अधिनियम के तहत राज्य के पदाधिकारी हैं, और सरकार की नीतियों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाएंगे, जिसमें मृत्यु का तत्काल पंजीकरण भी शामिल है।
- राज्य सरकार को इसके लिए सीआरएस और पंजीकरण अधिनियम और पंचायत अधिनियम के तहत स्थानीय सरकार की इकाइयों के लिए तय जिम्मेदारियों के उचित कार्यान्वयन के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देशित किया जाता है। सभी मौतों को 24 घंटे के भीतर सूचित किया जाना चाहिए। COVID-19 को हराने में प्रभावी कदम उठाने के लिए एक सच्ची तस्वीर आवश्यक है।
- हम ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व को दोहराते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी COVID-19 ग्रस्त व्यक्ति चिकित्सा स्वास्थ्य संबंधि बुनियादी ढांचे से वंचित ना रह जाए।
- स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार/उपयुक्त प्राधिकारी, जहां तक संभव हो, ऑक्सीजन सिलेंडरों के कोटा में वृद्धि के लिए दिनांक 7 मई, 2021 को राज्य द्वारा अग्रेषित अनुरोध पर अनुकूल विचार करें। जो जरूरी हो, उसे सकारात्मक रूप से अगले चार कार्य दिवसों के भीतर किया जाना चाहिए।
- 10 मई, 2021 को राज्य सरकार की ओर से ऑक्सीजन के कोटा (एलएमओ) को बढ़ाने के लिए भेजे गए अनुरोध पर अनुकूल रूप से विचार किया जाए।
- गंगा नदी में पाए गए शवों के निस्तारण संबंधी बक्सर और कैमूर के कमिश्नर का हलफनामा अगले दो कार्य दिवसों के भीतर सकारात्मक रूप से दायर किया जाए।
-सभी संबंधित तेजी से उचित कदम उठाएंगे और ऑक्सीजन सिलेंडर के आकार में जब्त की गई संपत्ति के अंतरिम रिलीज के आदेश पारित करेंगे, जो मानव जीवन को बचाने के लिए आवश्यक हैं। परीक्षण के दौरान उसकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए जो जरूरी हो उसे कानून के अनुसार किया जाना चाहिए।
- नगर निगम अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि वे होम आइसोलेशन में रह रहे COVID रोगियों से उत्पन्न कचरे के उचित संग्रहण, उपचार और निपटान के लिए कदम उठाएं।
- सीटी स्कैन की खरीद की प्रक्रिया को तेज करने के लिए निर्देशित किया जाता है।
- बिहार सरकार के मुख्य सचिव, एक ताजा हलफनामा दायर करेंगे, जो हमारी निर्देशों के संदर्भ में वकील द्वारा तैयार प्रारूप (सारणीबद्ध चार्ट) में होगा और जिसमें पूरी जानकारी प्रस्तुत करेंगे। अगले चार कार्य दिवसों के भीतर सकारात्मक रूप से सभी जरूरती चीजें पूरी हों, जिसमें विफल रहने पर, हम उन्हें डिजिटल माध्यम से कार्यवाही में शामिल होने के लिए कहने के लिए विवश होंगे।
- RTPCR, पॉजिटीविटी रेट और मृत्यु आदि के संबंध में, जिसमें भौगोलिक स्थिति स्पष्ट हो, शहरी और ग्रामीण पदनामों स्पष्ट हों, और (a) COVID देखभाल केंद्र की संख्या, (b) समर्पित COVID स्वास्थ्य केंद्र ; (c) समर्पित स्वास्थ्य केंद्र या हर एक जिले में इस संबंध में एक कनिजी अस्पताल का ताजा डाटा कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जानकारी एक मार्च 2021 से शुरू होने वाली महामारी की दूसरी लहर से संबंधित हो।
- यह पार्टियों के लिए खुला है कि वह मुख्य सचिव, बिहार सरकार द्वारा दायर 06.05.2021, 09.05.2021 और 11.05.2021 के हलफनामों का जवाब दें।
स्वास्थ्य का अधिकार और राज्य का उत्तरदायित्व
कोर्ट ने कहा कि बुनियादी चिकित्सा ढांचे तक पहुंच सहित स्वास्थ्य का अधिकार के एक पहलू है, जो अनुच्छेछ 21 के तहत प्रदान किया गया है और राज्य इसके लिए कर्तव्यबद्ध है।