जबरन वसूली के आरोप आर्यन खान मामले की जांच में बाधा डालने का प्रयास: एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े विशेष एनडीपीएस कोर्ट पहुंचे

Update: 2021-10-25 09:05 GMT

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने अपने ही एक गवाह के नोटरीकृत हलफनामे के खिलाफ विशेष एनडीपीएस कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस हलफनामे में जबरन वसूली का आरोप लगाया गया। साथ ही एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को "गिरफ्तारी की धमकी" दी गई।

एनसीबी के आवेदन में यह निर्देश दिए जाने की मांग की गई कि विशेष एनडीपीएस अदालत या किसी अन्य अदालत की अनुमति के बिना गवाह प्रभाकर साईल के हलफनामे पर कोई कार्रवाई या संज्ञान नहीं लिया जाए और इसे जांच पूरी होने तक स्थगित रखा जाए।

आवेदन में कहा गया,

"इस माननीय न्यायालय से यह प्रार्थना की जाती है कि वह यह निर्देश दे कि इस तरह के कथित हलफनामे का दिनांक 23.10.2021 का कोई संज्ञान नहीं लिया जाएगा या इस माननीय न्यायालय या सक्षम अधिकार क्षेत्र के न्यायालय द्वारा निर्देशित रूप या तरीके को छोड़कर किसी भी तरीके से इसका अवलोकन किया जाए।"

इसके अलावा, एनसीबी यह भी निर्देश दिए जाने की मांग कि विशेष अदालत की अनुमति के बिना क्रूज शिप ड्रग मामले के संदर्भ में कानून के अनुसार, चल रही अदालती कार्यवाही और जांच के अलावा कोई भी याचिका दायर नहीं की जाए।

विशेष न्यायाधीश वीवी पाटिल ने सोमवार सुबह के सत्र में एनसीबी के वकील को 45 मिनट तक सुना और कहा कि वह उचित आदेश पारित करेंगे।

आदेवन में कहा गया,

"आवेदक प्रस्तुत करता है कि यह आवेदन अत्यधिक तात्कालिकता और न्याय के हित में है ताकि एक स्वतंत्र और प्रतिष्ठित एजेंसी को बेईमान तत्वों द्वारा बदनाम और कलंकित होने से बचाया जा सके, जो अपने निहित स्वार्थों को आगे बढ़ाने का इरादा रखते हैं।"

आवेदन के साथ जोनल निदेशक समीर वानखेडे का एक हलफनामा है। उन्होंने दावा किया कि उन्हें गिरफ्तारी का खतरा है और उन्हें एक राजनीतिक व्यक्ति द्वारा निशाना बनाया जा रहा है।

एनसीबी ने कहा कि आर्यन खान मामले में मामले के पंच गवाहों में से एक प्रभाकर साईल द्वारा जबरन वसूली के आरोप लगाए गए हैं। ये आरोप जांच में बाधा डालने और एजेंसी पर अनुचित दबाव बनाने का एक प्रयास है।

एनसीबी ने कहा,

"एनसीबी अधिकारियों के खिलाफ कथित जबरन वसूली के आरोप चल रही जांच को दुर्भावनापूर्ण तरीके से कमजोर करने और एजेंसी पर दबाव बनाने का एक स्पष्ट प्रयास है।"

वानखेड़े ने अपने हलफनामे में कहा,

"इस क्रूज जांच का नेतृत्व करने के बाद मुझे व्यक्तिगत रूप से एक ज्ञात राजनीतिक व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया गया, जो उन्हें अच्छी तरह से पता है।

वानखेड़े का कहना है कि एनडीपीएस मामले में नेता (कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक के) के दामाद की गिरफ्तारी और उसके बाद जमानत पर रिहा होने का एकमात्र औचित्य प्रतीत होता है।

उन्होंने अपने हलफनामे में कहा,

"समय-समय पर वह मुझे और मेरे परिवार को निशाना बनाते रहे हैं और मैं मानहानिकारक हमले और झूठे, तुच्छ और कष्टप्रद आरोपों के शिकार होता हूँ। मुझे गिरफ्तार करने और नौकरी से निकालने की धमकी दी गई। मुझ पर और मेरे परिवार पर कई हमले हो रहे हैं।"

उनका कहना है कि उन्हें गिरफ्तारी की धमकी दी जा रही है, क्योंकि यह कुछ निहित स्वार्थों के अनुरूप नहीं है।

इसके अलावा, अदालत "दुर्भावनापूर्ण इरादे से एक न्यायिक मामले में हमारे जैसे अधिकारियों पर बढ़ाए गए ऐसे दबावों का संज्ञान ले सकती है ताकि सच्चाई सामने न आए।"

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