"बताएं कि गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार की जानकारी कैसे दी जाती है": दिल्ली हाईकोर्ट ने 'प्रवर्तन निदेशालय' से पूछा
दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक को यह बताने के लिए कहा कि डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एआईआर 1997 एससी 610 मामले सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार, गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के आधार पर किस प्रकार जानकारी दी जाती है।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ एक निचली अदालत के आदेश पर ईडी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे (ईडी) राजद के राज्यसभा सांसद अमरेंद्र धारी सिंह को प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) की एक प्रति देने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि राजद सांसद को कथित उर्वरक घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है।
ईडी ने दी दलीलें
ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल द्वारा यह तर्क दिया गया कि सीआरपीसी के तहत विशेष न्यायाधीश के पास याचिकाकर्ता को ईसीआईआर की प्रति देने के लिए निर्देश पारित करने के लिए कोई विशिष्ट शक्ति नहीं है।
आगे यह तर्क दिया गया कि ईसीआईआर की प्रति न देने से राजद सांसद को कोई पूर्वाग्रह नहीं हुआ है, क्योंकि यह एफआईआर की तरह नहीं है, जिसके आधार पर जांच शुरू की जाती है।
ईडी ने आगे तर्क दिया कि वह मामले में शिकायत दर्ज करने के लिए बाध्य है और जब तक राजद सांसद को समन जारी नहीं किया जाता है, वह कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं कर सकते और न ही कोई दस्तावेज मांग सकते हैं।
एएसजी एसवी ने तर्क दिया,
"आज तक न तो कोई शिकायती मामला दर्ज किया गया है और न ही प्रतिवादी के खिलाफ कोई प्रक्रिया शुरू की गई है। अब जब आज तक कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है, तो प्रतिवादी आवश्यक दस्तावेजों की मांग कर सकता है। हालांकि शिकायत को रद्द नहीं किया जा सकता है।"
ईडी ने यह भी तर्क दिया कि प्रतिवादी के इस दावे पर कि उसका बचाव प्रभावित हुआ है, वर्तमान हालात में नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि प्रमुख बचाव साक्ष्य के स्तर तक नहीं पहुंचा है।
कोर्ट का सवाल
गौरतलब है कि कोर्ट ने एक स्पष्ट सवाल उठाया कि चूंकि राजद सांसद को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (संक्षेप में 'पीएमएलए') की धारा 3/4 के तहत ईसीआईआर संख्या डीएलजेडओ-1/43/2021 की रिकॉर्डिंग के अनुसार पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। मगर उन्हें ईसीआईआर की प्रति प्रदान नहीं की गई है कि प्रतिवादी को गिरफ्तारी के आधार के बारे में लिखित में कैसे सूचित किया गया था।
इस पर, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि गिरफ्तारी के कारणों की उन्हें विधिवत जानकारी दी गई थी। हालांकि, इस संबंध में दस्तावेज को रिकॉर्ड में नहीं रखा जा सका।
यह तर्क दिया गया कि गिरफ्तारी के आधार को ट्रायल कोर्ट को विधिवत दिखाया गया था, जिसने रिमांड आदेश देने के समय इसका फिजिकल रूप से अध्ययन किया था।
अदालत ने हालांकि, ईडी को यह प्रस्तुत करने का निर्देश दिया कि क्या ईसीआईआर "केवल एक संख्या है या याचिकाकर्ता (ईडी) के लिए शिकायत का मामला दर्ज करने से पहले उस पर जांच शुरू करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दर्ज करता है।"
केस का शीर्षक - प्रवर्तन निदेशालय बनाम अमरेंद्र धारी सिंह
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें