पूर्व जज सीएस कर्णन को अपमानजनक वीडियो के कारण चेन्नई पुलिस ने गिरफ्तार किया

Update: 2020-12-02 10:58 GMT

चेन्नई पुलिस ने बुधवार को मद्रास और कलकत्ता उच्च न्यायालयों के पूर्व जज सीएस कर्णन को गिरफ्तार कर ‌लिया।

चेन्नई पुलिस की केंद्रीय अपराध शाखा ने पूर्व जज को , एक ऑनलाइन वीडियो के कारण गिरफ्तार किया है, जिसमें उन्होंने जजों को गाली दी ‌‌थी और जजों की पत्न‌ियों को रेप की धमकियां दी थी।

मद्रास उच्च न्यायालय ने कल पुलिस महानिदेशक और चेन्नई पुलिस आयुक्त को 7 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर कर्णन के खिलाफ जांच की प्रगति से पीठ को अवगत कराने का निर्देश दिया था।

इससे पहले, अदालत ने पुलिस आयुक्त, चेन्नई को कर्णन के खिलाफ मामले की जांच को संभालने के लिए कहा था और डीजीपी को उसी की निगरानी करने का निर्देश दिया था।

कोर्ट, तमिलनाडु बार काउंसिल की ओर से कर्णन के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई कर रही थी। बार काउंसिल ने जजों की पत्नियों, महिला वकीलों और महिला कोर्ट स्टाफ की पत्नियों के खिलाफ बलात्कार की धमकियों और यौन रूप से अश्लील टिप्पण‌ियां करने के आरोपी में कर्णन के खिलाफ याचिका दायर की थी।

काउंसिल ने कर्णन के के "दुर्भाग्यपूर्ण बयानों" के खिलाफ उचित कार्यवाही/ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। तमिलनाडु पुलिस ने अपने जवाबी हलफनामे में कोर्ट को बताया था कि आरोपियों से दो राउंड पूछताछ की जा चुकी है।

जवाबी हलफनामे का हवाला देते हुए, बार काउंसिल ने अदालत को बताया था कि पूर्व जज ने पूछताछ में कथित अपराध को स्वीकार किया है, इस बाद भी उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कदम नहीं उठाए गए।

काउंसिल ने आरोप लगाया था कि पूर्व जज को धारा 41-ए सीआरपीसी के तहत उपस्थिति के लिए दूसरा नोटिस जारी किया गया था, जबकि अन्यथा इस प्रावधान का "चुनिंदा रूप से सहारा लिया जाता" है।

काउंसिल ने दलील दी थी कि अब तक की गई जांच केवल एक धोखा है..। जिसके बाद बेंच ने सात दिसंबर को आयुक्त और डीजीपी की व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया था।

10 नवंबर को उच्च न्यायालय ने आपत्तिजनक वीडियो लिंक को ब्लॉक करने का आदेश दिया था।

पूर्व जज के बयानों पर जस्टिस एम सत्यनारायणन और आर हेमलता ने कहा था, "यह नोट करना दुर्भाग्यपूर्ण है कि नौवें प्रतिवादी (कर्णन), जो एक महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर रहे हैं, इस स्तर पर पहुंच गए हैं कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पूर्व और वर्तमान जजों और उनके परिवार के सदस्यों, विशेषकर महिलाओं के खिलाफ बार-बार निंदनीय, अश्लील, अपमानजनक और असंवेदनशील टिप्पण‌ियां कर रहे हैं।"

कर्णन का वीडियो अक्टूबर में सामने आया था, जिसके बाद मद्रास उच्च न्यायालय की महिला वकीलों के एक समूह ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष एक शिकायत दायर की ‌थी और कर्णन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने कर्णन द्वारा सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज, जस्टिस आर भानुमती के घर में घुसने के प्रयास को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया था।

जस्टिस एएम खानविल्कर की अगुवाई वाली पीठ ने दिल्ली तमिल अधिवक्ता संघ की याचिका, जिसमें कर्णन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी, पर नोटिस जारी करते हुए कहा था, "जो भी हुआ दुर्भाग्यपूर्ण है। आप को श‌िकायत दर्ज करने समेत सभी उचित कार्यवाई करनी चाहिए।"

मई 2017 में, सीएस कर्णन अदालत की आपराधिक अवमानना ​​के दोषी पाए जाने वाले पहले हाईकोर्ट के जज बने थे। सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने उन्हें न्यायाधीशों के खिलाफ सार्वजनिक बयानों के कई कृत्यों और न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप के लिए छह महीने के कारावास की सजा सुनाई। एक न्यायाधीश के रूप में, कर्णन ने अपने स्वयं के स्थानांतरण को रोकने के लिए न्यायिक आदेश पारित करने और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने जैसे असाधारण कार्य किए थे।

सजा के बाद वह छिप गए थे। एक महीने बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया और उन्हें कोलकाता की प्रेसिडेंसी जेल भेज दिया गया, जहां उन्होंने दिसंबर 2017 तक कारावास की सजा काट ली।

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