बॉम्बे हाईकोर्ट की रिव्यू कमेटी का फैसला-सप्ताह में एक दिन वर्चुअल सुनवाई जारी रखने का प्रयास, वादियों का प्रवेश सीमित

Update: 2021-08-31 14:01 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने तीसरी लहर की आशंका के चलते अदालत परिसर में वादियों के प्रवेश पर रोक को जारी रखने और अदालतों में सुनवाई की हाइब्रिड प्रणाली को लागू करने का प्रयास करने का फैसला किया है।

चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता में सोमवार को हुई प्रशासनिक समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि वादियों को अदालत के अंदर तभी अनुमति दी जाएगी जब उनकी उपस्थिति की आवश्यकता होगी। वकीलों और क्लर्कों को अपना पहचान पत्र दिखाने के बाद अनुमति दी जाएगी।

उच्च न्यायालय ने 2 अगस्त, 2021 से आंशिक रूप से भौतिक सुनवाई फिर से शुरू की थी। चीफ जस्टिस की अदालत और कुछ अन्य पीठों में कामकाज के लिए हाईब्रिड प्रणाली है। समीक्षा बैठक के दौरान न्यायाधीशों ने कहा कि ज्यादातर वकीलों ने शारीरिक रूप से पेश होना पसंद किया है।

बॉम्बे बार एसोसिएशन ने एक बयान में कहा , "उच्च न्यायालय अब चार दिन फिजिकल सुनवाई और एक दिन वर्चुअल सुनवाई पर काम करेगा, और प्रयास किया जाएगा कि सभी अदालतें एक दिन वर्चुअल काम करें।" 

इस संबंध में जल्द ही एसओपी जारी होने की संभावना है।

बैठक में निम्न निर्णय लिए गए -

(1) बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायालयों में लगभग एक महीने के लिए हाईब्रिड प्रणाली को लागू करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि, मौजूदा हाइब्रिड कोर्ट हाइब्रिड आधार पर काम करना जारी रखेंगे।

(2) मामलों का प्रसार फिलहाल ईमेल द्वारा भेजे गए अवक्षेप के माध्यम से होगा। हालांकि, वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर उल्लेख करने की अनुमति होगी।

(3) अदालत परिसर के अंदर वादियों को तभी अनुमति दी जाएगी जब अदालत को उनकी उपस्थिति की आवश्यकता होगी। अधिवक्ताओं के क्‍लर्कों को पहचान पत्र प्रस्तुत करने पर ही उच्च न्यायालय परिसर में अनुमति दी जाएगी।

(4) उच्च न्यायालय फिजिकल रूप में 4 दिन और वर्चुअल एक दिन काम करेगा, और प्रयास किया जाएगा कि सभी अदालतें एक दिन वर्चुअल काम करें।

मुंबई स्थित बॉम्बे हाईकोर्ट की प्र‌िंसपल सीट, औरंगाबाद, नागपुर की बेंच और गोवा स्थित बॉम्बे हाईकोर्ट अप्रैल 2021 में COVID-19 दूसरी लहर के कारण वर्चुअल सुनवाई पर वापस चले गए थे।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 30 अगस्त से आगे महाराष्ट्र में सभी अंतरिम आदेशों को बिना शर्त विस्तार को जारी रखने से इनकार कर दिया था, क्योंकि अदालतों के भौतिक कामकाज को फिर से शुरू किया था। (2021 की स्वत: संज्ञान जनहित याचिका संख्या एक)।

इस मुद्दे पर राज्य सरकार के नए निर्देशों के बाद जिला अदालतों के लिए फैसला लिया जाएगा।

बॉम्बे हाई कोर्ट की प्रशासनिक समिति और स्टेट टास्क फोर्स के सदस्यों के अलावा, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह, बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा, बॉम्बे बार एसोसिएशन, एडवोकेट्स एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया (AAWI), बॉम्बे इनकॉर्पोरेटेड लॉ सोसाइटी के प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित थे।

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