संपत्ति कुर्क करने का अधिकार जिला मजिस्ट्रेट को, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका आयुक्त को नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2022-03-08 09:16 GMT

Karnataka High Court

कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि संपत्ति को अटैच करने का अधिकार जिला मजिस्ट्रेट के पास है, न कि न कि बेंगलुरु महानगर पालिका आयुक्त के पास।

जस्टिस एसपी संदेश की सिंगल बेंच ने कहा कि बीबीएमपी के आयुक्त के पास विशेष जेएमएफसी (बिक्री कर) न्यायालय के आदेश के अनुसार संपत्ति को कुर्क करने का कोई अधिकार नहीं है और इसे सीआरपीसी की धारा 421 (1) (बी) के तहत जिला कलेक्टर के माध्यम से लागू किया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता/निर्धारिती, स्वामित्व संस्था खानपान व्यवसाय में लगी हुई है। याचिकाकर्ता कर्नाटक बिक्री कर एक्ट, 1957 (केएसटी एक्ट) और केंद्रीय बिक्री कर एक्ट, 1956 के प्रावधानों के तहत भी पंजीकृत है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया है कि कैंटीन में भोजन की बिक्री पर फर्म कोई लाभ नहीं कमा रही है ओर ऐसी बिक्री को छूट है। यदि ऐसा माल एक्ट के तहत कर के लिए उत्तरदायी नहीं है तो ऐसे माल को केएसटी एक्ट की धारा 8 में शामिल किया जाता है और ऐसे सामान को कर के भुगतान से छूट दी जाती है।

हालांकि, निर्धारण प्राधिकारी ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता खाद्य पदार्थों की बिक्री पर 12% की दर से बिक्री कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है और तदनुसार 35,25,376 रुपये का कर लगाया।

केएसटी एक्ट की धारा 12(3) के तहत पारित आदेश के मद्देनजर प्रतिवादी/विभाग ने फॉर्म 6 में मांग नोटिस जारी कर निर्धारण वर्ष 2001-2002 के लिए राशि की मांग की है।

विभाग ने बकाया कर के भुगतान के लिए 21 दिन का समय दिया है। भुगतान न करने पर उक्त राशि की वसूली के लिए केएसटी एक्ट की धारा 13(3)(बी) के तहत एक याचिका दायर की गई थी। राशि की वसूली के लिए विशेष जेएमएफसी (बिक्री कर) न्यायालय ने आयुक्त, बीबीएमपी के माध्यम से राशि को अटैच करने के लिए एक आदेश जारी किया।

याचिकाकर्ता के वकील ने आग्रह किया है कि विशेष जेएमएफसी (बिक्री कर) न्यायालय को बीबीएमपी आयुक्त के माध्यम से संपत्ति की कुर्की का आदेश जारी नहीं करना चाहिए था।

सीआरपीसी की धारा 421, जुर्माने के के वारंट के लिए, विशेष रूप से, धारा 421 की धारा (बी), जिसमें, विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि जिला कलेक्टर को एक वारंट जारी करें, जो उन्हें डिफॉल्टर की चल या अचल संपत्ति या दोनों से भूमि राजस्व के बकाया के रूप में राशि की वसूली के लिए अधिकृत करता है।

दूसरी ओर, विभाग के लिए उपस्थित एक सरकारी वकील ने प्रस्तुत किया है कि जब राशि का भुगतान नहीं किया गया था तो विशेष जेएमएफसी (बिक्री कर) न्यायालय, बेंगलुरु द्वारा आदेश पारित किया गया था। इसलिए याचिका को स्वीकार करने का कोई आधार नहीं है।

इस प्रकार उच्च न्यायालय ने विशेष जेएमएफसी (बिक्री कर) द्वारा पारित आदेश के खिलाफ याचिका की अनुमति दी।

केस शीर्षक: मेसर्स प्रशांति संबद्ध बनाम वाणिज्यिक कर उपायुक्त

सिटेशन: आपराधिक पुनरीक्षण याचिका संख्या 921/2012

याचिकाकर्ता के वकील: एडवोकेट अतुल के.अलूर

प्रतिवादी के वकील: एचसीजीपी केएसए अभिजीत

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