यूएपीए की धारा 45(1) के तहत अभियोजन के लिए मंजूरी देने के संबंध में दस्तावेजों के खुलासा को आरटीआई अधिनियम के तहत छूट दी जा सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने मुंबई ट्विन ब्लास्ट मामले (7/11 बम विस्फोट मामले) में एक दोषी द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया।
याचिका में केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसे यूएपीए की धारा 45(1) के तहत अभियोजन के लिए मंजूरी देने से संबंधित प्रस्ताव और सभी दस्तावेजों के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया गया था।
एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी नामक शख्स को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 1999 और राष्ट्रीय जांच अधिनियम, 2008 के तहत दोषी ठहराया गया था। वह जुलाई, 2006 से नागपुर केंद्रीय कारागार में अपनी सजा काट रहा है।
सीआईसी ने गृह मंत्रालय के सीपीआईओ के दृष्टिकोण को बरकरार रखते हुए पाया कि धारा 8(1)(ए) आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारियां देने पर छूट है।
सीआईसी के आदेश को बरकरार रखते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा ने
"यूएपी अधिनियम की धारा 45 में किए गए प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय का दृढ़ मत है कि जो जानकारियां मांगी गई थी और व्यापक रूप में जैसा कि आवेदन में प्रार्थना की गई थी, उत्तरदाताओं ने आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (ए) का सही इस्तेमाल किया।"
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील के इस तर्क को खारिज कर दिया कि सीआईसी यह विचार करने के लिए बाध्य है कि क्या आरटीआई अधिनियम के धारा 10 के प्रावधान लागू होंगे और यह कि क्या मांगी गई जानकारी के कुछ पहलुओं को अलग किया जा सकता है, जो कि धारा 8(1)(ए) आरटीआई अधिनियम के दायरे से बाहर हैं।
कोर्ट ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता प्रथम दृष्टया यह स्थापित करने में विफल रहा कि कौन सी जानकारी अंततः यूएपी अधिनियम की धारा 45 के तहत अधिसूचना जारी करने का कारण बन सकती है।
अदालत ने आदेश दिया, "रिट याचिका में योग्यता का अभाव है और इसे खारिज किया जाताा है।"
केस टाइटल: एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी बनाम सीपीआईओ, गृह मंत्रालय