फुटपाथ पर रहने वाले/बेघर लोगों को COVID-19 से संक्रमण का अधिक खतरा, तुरंत वैक्सीन लगाने की आवश्यकता : मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वह बेघर, फुटपाथ पर रहने वाले आदि कमजोर व्यक्तियों को तत्काल आधार पर वैक्सीन लगाई जाए, क्योंकि उन्हें COVID-19 के संक्रमण का अधिक खतरा है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिल कुमार राममूर्ति की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि सभी निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को संवेदनशील बनाया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन कमजोर व्यक्तियों को 'तत्काल वैक्सीनेशन' के लिए उम्मीदवार माना जाए।
एक जनहित याचिका में यह सुनिश्चित करने की मांग की गई है कि फुटपाथ पर रहने वाले, बेघर और पंजीकृत नहीं होने वाले बेघर लोगों के लिए कोरोना वैक्सीनेशन के उपाय किए जाए, क्योंकि ऐसे लोगों को कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा रहता है।
समाज कल्याण और पौष्टिक भोजन कार्यक्रम विभाग में सरकार के प्रधान सचिव द्वारा दायर एक स्थिति रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय ने देखा कि ऐसे सभी कमजोर व्यक्तियों का जल्द से जल्द टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए एक कार्यक्रम है।
स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, धन आवंटित किया गया है और व्यक्तियों के वर्ग की देखभाल करने के लिए कार्यात्मक आश्रयों की जगह तलाश की जा रही है, जहां याचिकाकर्ता वैक्सीनेशन करना चाहता है। रिपोर्ट में दीनदयाल अंत्योदय योजना [राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन] का भी उल्लेख किया गया है, जिसे 15 निगमों, 121 नगर पालिकाओं और 528 नगर पंचायतों सहित 664 शहरी स्थानीय निकायों में लागू किया गया है।
तदनुसार, डिवीजन बेंच ने संबंधित अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हुए याचिका का निपटारा करते हुए कहा,
"कोई भी निराश्रित या बेघर या फुटपाथ निवासी या राज्य में रहने वाले समान प्रकार के अन्य नागरिक को वैक्सीनेशन अभियान में नहीं छोड़ा गया है। इसके लिए सभी निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को यह सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा संवेदनशील बनाया जाना चाहिए कि इन कमजोर व्यक्तियों को तत्काल वैक्सीन दी जाए, क्योंकि उनको वायरस का ज्यादा खतरा रहता है।"
केस शीर्षक: एम. मुर्गंथम बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य।
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