दिल्ली दंगा: हाईकोर्ट ने UAPA के तहत 'बड़े षड्यंत्र' मामले के ट्रायल पर लगी रोक हटाई
दिल्ली सरकार की इस दलील के मद्देनजर कि मामले के आरोपी 25 मार्च को ट्रायल कोर्ट से दायर चार्जशीट की पूरी हार्ड कॉपी लेने के लिए स्वतंत्र हैं, दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को मामले के ट्रायल पर लगी रोक को हटाई।
इससे पहले अदालत ने गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत ट्रायल पर रोक लगा दी थी। यह रोक ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अभियोजन पक्ष की अपील पर लगाई गई थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को चार्जशीट की हार्ड कॉपी दिए जाने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति सुरेश कैत की एकल न्यायाधीश पीठ ने राज्य द्वारा चार्जशीट दिए जाने पर अपनी आपत्ति को वापस लेने के संदर्भ में कहा,
"... कोई और आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। उसी के अनुसार, लंबित आवेदन का निपटारा किया गया है। तदनुसार, रोक हटाई जाती है। "
दिल्ली पुलिस ने पहले आरोपपत्र की हार्ड कॉपी की आपूर्ति का विरोध इस आधार पर किया था कि वह हजारों पृष्ठों में तेईस खंडों में विभक्त है।
यह मामला एक कथित साजिश से संबंधित है, जिसके कारण पिछले साल फरवरी में राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्व के इलाकों में दंगा हुआ था। इसमें जेएनयू छात्रों, पिंजरा तोड़ के कार्यकर्ताओं और AAP विधायक ताहिर हुसैन सहित मामले में आरोपी व्यक्ति शामिल हैं। आरोपी व्यक्तियों में उमर खालिद, शारजील इमाम, अब्दुल खालिद सैफी, आसिफ इकबाल तन्हा, इशरत जहां, सफुर जरगर, नताशा नरवाल, देवांगना कलिता भी शामिल हैं।
मामले में पहली चार्जशीट, भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत अपराध के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम [यूएपीए] की धारा 13, 16, 17, 18 सहपठित आईपीसी की धारा 124A, 153A, 302, 307, 109, 114, 147, 148, 149, 186, 353, 395, 201, 341, 212, 295, 427, 435, 436, 452, 452, 454, 341, 420, 468 471, 34 के साथ ही आर्म्स एक्ट के सेक्शन 25 और 27 के अलावा लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 के तहत उमर खालिद और शारजील इमाम के खिलाफ इसकी दूसरी चार्जशीट दायर की गई। सफूरा और फैजान को छोड़कर सभी आरोपी वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।