दिल्ली दंगे: कोर्ट ने लंबित मामलों में देरी से बचने के लिए डीसीपी को अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को न्यायिक आदेशों का पालन करने के लिए संवेदनशील बनाने का निर्देश दिया

Update: 2021-12-13 06:06 GMT

दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर पूर्वी जिले के डीसीपी को अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित मामलों में न्यायिक आदेशों और ट्रायल कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए संवेदनशील बनाने का निर्देश दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लंबित मामलों में कोई देरी न हो।

कड़कड़डूमा कोर्ट के उत्तर पूर्व जिले के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश रमेश कुमार ने सीएमएम द्वारा पारित एक आदेश को रद्द करते हुए आदेश पारित किया। इसमें दिल्ली पुलिस पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था। इसके अतिरिक्त, आदेश ने पुलिस आयुक्त को जिम्मेदार अधिकारी के वेतन से उक्त जुर्माने की कटौती का आदेश देते हुए जांच करने का भी निर्देश दिया था।

कोर्ट ने कहा,

"संबंधित डीसीपी को अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को इस प्रभाव के प्रति संवेदनशील बनाने का निर्देश दिया जाता है ताकि कोर्ट निर्देशों का उचित रूप से पालन किया जा सके। ट्रायल कोर्ट उनके द्वारा अनुपालन किया जाता है ताकि ट्रायल कोर्ट के समक्ष लंबित मामलों के ट्रायल में कोई देरी न हो।"

कोर्ट करावल नगर पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148, 149, 427 और धारा 436 के तहत दर्ज एफआईआर नंबर 126/2020 से निपट रहा था। जांच के दौरान उक्त मामले को मोहम्मद साहिब की एक अन्य शिकायत के साथ जोड़ दिया गयास जहां अन्य आरोपियों को बाद में चार्जशीट किया गया था।

मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने नौ अक्टूबर, 2021 के आदेश के द्वारा पुनर्विचार याचिका एसएचओ करावल नगर द्वारा दायर की गई थी।

सीएमएम कोर्ट ने आरोपी व्यक्तियों को चार्जशीट की प्रतियां उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। हालांकि, इसकी आपूर्ति नहीं की जा सकी, क्योंकि वे अपने आवास पर उपलब्ध नहीं थे। अत: आक्षेपित आदेश के द्वारा पुलिस पर आरोप लगाया गया।

अदालत ने कहा,

"यह आगे तर्क दिया गया कि राज्य द्वारा स्थगन की मांग नहीं की गई थी, लेकिन बचाव पक्ष के वकील ने इसकी मांग की थी। इस तरह, यह तर्क दिया जाता है कि जुर्माना लगाना अनुचित है।"

कोर्ट ने आगे कहा कि चूंकि ट्रायल कोर्ट द्वारा चार्जशीट की कॉपी की आपूर्ति के संबंध में दिए गए निर्देशों का पहले ही पालन किया जा चुका है, इसलिए दिल्ली पुलिस पर जुर्माना लगाने और पुलिस कमिश्नर द्वारा की जाने वाली किसी भी जांच के लिए कोई आधार नहीं है।

तद्नुसार पुनर्विचार याचिका का निराकरण किया गया।

शीर्षक: राज्य बनाम पिंटू @ आनंद किशोर।

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