दिल्ली हाईकोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लिया

Update: 2025-03-24 07:36 GMT
दिल्ली हाईकोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लिया

दिल्ली हाईकोर्ट जज जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया, क्योंकि उनके आवासीय परिसर में कथित रूप से बेहिसाब धन मिलने के विवाद के बाद यह कदम उठाया गया।

इस आशय का एक नोटिस दिल्ली हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया।

सर्कुलर में कहा गया,

"हाल की घटनाओं के मद्देनजर, माननीय जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक वापस लिया जाता है।"

यह तब हुआ है, जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने के लिए कहा था।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए आंतरिक प्रक्रिया के तहत तीन सदस्यीय समिति गठित की है।

समिति के सदस्य हैं - जस्टिस शील नागू, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस; जस्टिस जीएस संधावालिया, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस; और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन

जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय को दिए गए अपने जवाब में सभी आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा है कि उन्हें फंसाने की साजिश की गई।

जस्टिस वर्मा ने आरोपों से इनकार किया, जिसमें यह भी शामिल है कि जिस कमरे में आग लगी वह उनके आधिकारिक आवास का एक कमरा था। उनके जवाब के अनुसार, यह स्टोररूम है, जो मुख्य आवास से अलग है, जो कि TOI की रिपोर्ट में बताए गए अनुमान के विपरीत है। उन्होंने स्टोररूम में कभी भी नकदी रखे जाने की बात से भी साफ इनकार किया।

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