दिल्ली हाईकोर्ट ने COVID-19 वैक्सीनेशन में कोमोरबिडिटी के रूप में गंभीर मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों को शामिल करने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

Update: 2021-03-16 06:07 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने सोमवार को COVID-19 वैक्सीनेशन में कोमोरबिडिटी (एक साथ कई बीमारियों से पीड़ित) से जूझ रहे लोगो को शामिल करने पर निर्देश दिए जाने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा।

इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर COVID-19 से जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ता गौरव बंसल द्वारा दायर याचिका में 45-59 वर्ष आयु वर्ग के नागरिकों की पात्रता के निर्धारण के लिए निर्दिष्ट कोमोरबिरिडिटी की लिस्ट से मानसिक रूप से बीमार लोगों को बाहर रखने पर सवाल किया गया है।

याचिका में इसका आधार यह दिया गया कि है यह वैक्सीनेशन वितरण डब्ल्यूएचओ के ढांचे के खिलाफ है, जो "प्राथमिकता निर्धारण मानदंडों" के निर्धारण में समान विचार और सार्थक अवसर को ध्यान में रखते हैं।

याचिका में "गाइडेंस नोट फॉर काउइन 2.0" को भी संदर्भित किया गया है, जो केंद्र सरकार द्वारा COVID-19 वैक्सीन प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता समूहों के रूप में जारी की गई सूची प्रदान करता है और कहता है कि मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों को छोड़ दिया है। साथ ही विकलांग व्यक्तियों (PwD) के साथ बेघर लोगों के साथ मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों को COVID-19 वैक्सीनेशन का लाभ उठाने से रोक दिया है।

इसने "गंभीर मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हजारों लोगों के लिए बाधाएं पैदा कर दी हैं, जिनके पास वैक्सीन लेने के लिए विकलांगता कोा कोई प्रमाण पत्र नहीं है।"

याचिकाकर्ता का दावा है कि यह इसलिए है, क्योंकि विकलांग अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुसार, "विकलांग व्यक्तियों को मदद की आवश्यकता है। इसमें केवल वे व्यक्ति शामिल हैं, जो अपने साथ विकलांगता प्रमाण पत्र ले जाते हैं," और बेघर मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों या गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों में सामान्यता के पास विकलांगता प्रमाण पत्र नहीं है, वे सरकार की सूची के तहत वैक्सीनेशन के लाभ से वंचित हैं।

याचिका में कहा गया है कि इस तरह की आवश्यकता "हमारे स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे का मजाक" बनाती है।

सरकार के मौजूदा "दिशानिर्देश" में प्राथमिकता के आधार पर COVID-19 वैक्सीनेश प्राप्त करने के लिए पात्र व्यक्तियों की निम्न श्रेणियां शामिल हैं:

1. भारत संघ द्वारा निर्दिष्ट के रूप में सभी स्वास्थ्य देखभाल और फ्रेंटलाइन वर्कर्स

2. सभी वृद्ध नागरिक, जो 1 जनवरी, 2022 तक 60 वर्ष या उससे अधिक की आयु के हो चुके हैं।

3. वे सभी नागरिक, जो 1 जनवरी, 2022 तक 45 वर्ष से 59 वर्ष की आयु प्राप्त करेंगे और उनके पास कोई निर्दिष्ट कोमोरबिडिटी (राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह द्वारा अनुशंसित) और समय-समय पर भारत सरकार द्वारा अनुमोदित एक पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा इस आशय के प्रमाणीकरण के अधीन।

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