"यह अवैध हिरासत है": दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश के बावजूद कैदी को समय से पहले रिहा नहीं करने के लिए गृह मंत्रालय की खिंचाई की
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक कैदी को समय से पहले रिहाई देने के लिए जनवरी, 2021 में पारित एक आदेश का पालन नहीं करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की खिंचाई की।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने चेतावनी दी कि यदि एक सप्ताह के भीतर आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो एमएचए सचिव को व्यक्तिगत रूप से कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। साथ ही पूछा जाएगा कि उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला क्यों न बनाया जाए।
अपहरण के एक मामले में 2015 में 14 साल की सजा पूरी करने वाले एक दोषी की समय से पहले रिहाई के लिए 25 जनवरी, 2021 को उसके द्वारा पारित निर्देश का पालन न करने पर पीठ अवमानना याचिका पर विचार कर रही थी।
जस्टिस प्रसाद ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि रिहाई के अदालत के आदेश के बावजूद कैदी की कैद "अवैध हिरासत" के बराबर है।
न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा,
"यह बेतुका है। यह रिहाई का निर्देश देने वाले इस न्यायालय का आदेश है। आप कहते हैं कि सीबीआई को प्रक्रिया करनी है और उन्होंने अगस्त, 2021 में पहले ही ऐसा कर लिया है। तब से आपने कुछ नहीं किया है। यह अवैध हिरासत के बराबर है! यदि आप (एमएचए) ) एक सप्ताह के भीतर इस न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करते हैं तो अगली तिथि पर सचिव, गृह मंत्रालय को कोर्ट में उपस्थित होकर कारण बताना होगा कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।"
कैदी को फिरौती के लिए अपहरण के आरोप में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 364ए और 120बी के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। 2015 में 14 साल की सजा काटने के बाद उसने समय से पहले रिहाई के लिए आवेदन किया। उसे सजा समीक्षा बोर्ड द्वारा चार बार समय से पहले रिहा करने की सिफारिश की गई थी, जिसे दिल्ली एल-जी द्वारा अनुमोदित किया गया था।
केस: कंट.कैस (सी) 984/2021