दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रेडमार्क की तस्करी/जमाखोरी में लिप्त पक्ष पर निषेधाज्ञा जारी कर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया

Update: 2022-07-05 09:31 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने 'OSRAM' ट्रेडमार्क का उपयोग करने वाले आरोपी के खिलाफ निषेधाज्ञा जारी कर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने यह जुर्माना इस आधार लगाया कि आरोपी ट्रेडमार्क की तस्करी/जमाखोरी में लिप्त है।

जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह की एकल पीठ ने कहा कि वह प्रतिवादी द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर अवैधता से आंखें नहीं मूंद सकती, जिसने 416 ट्रेडमार्क आवेदन दायर किए और इनमें से किसी भी ट्रेडमार्क के तहत कोई वास्तविक व्यवसाय नहीं कर रहा है।

वादी का मामला

वादी ने प्रतिवादी को OSRAM ट्रेडमार्क का उपयोग करने से रोकने के लिए स्थायी निषेधाज्ञा के लिए मुकदमा दायर किया।

वादी ने दावा किया कि उसने 1906 में 'OSRAM' ट्रेडमार्क अपनाया था और इसे वर्ष 1946 में ट्रेडमार्क नंबर 1112537 के तहत इसे रजिस्टर्ड किया गया था। उसके नाम पर अभी भी ट्रेडमार्क है।

वादी ने आगे दावा किया कि विभिन्न वर्गों के तहत घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर OSRAM ट्रेडमार्क के लिए उसके पास कई ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन हैं। उसने आगे तर्क दिया कि ट्रेडमार्क आविष्कारित ट्रेडमार्क है और वर्ष 2019 में इसका विश्वव्यापी कारोबार 3,464 मिलियन यूरो था।

वादी ने क्लास एक और तीन के तहत ट्रेडमार्क OSRAM के रजिस्ट्रेशन के लिए प्रतिवादी के आवेदनों का विरोध किया, जिसमें प्रतिवादियों ने प्रतिवाद दायर किया और दावा किया कि वे OSRAM ट्रेडमार्क का उपयोग कर रहे हैं।

वादी ने यह भी आरोप लगाया कि प्रतिवादी मार्क्स एंड स्पेंसर, फिटबिट, व्हाट्सएप, आईफोन, माइक्रोमैक्स, ऐप्पल, आदि सहित प्रसिद्ध ट्रेडमार्क का आदतन ट्रेडमार्क अपराधी है।

तदनुसार, न्यायालय ने अंतरिम निषेधाज्ञा पारित की और प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे उन सभी ट्रेडमार्कों की सूची को रिकॉर्ड में रखें जिनके लिए उन्होंने आवेदन किया है।

प्रतिवादियों ने अपना बयान दाखिल किया और स्वीकार किया कि उन्होंने ट्रेडमार्क बेचने और उनसे पैसे कमाने के उद्देश्य से कई ट्रेडमार्क आवेदन दायर किए हैं।

कोर्ट का फैसला

न्यायालय ने यह माना कि प्रतिवादी द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर अवैधता से आंखें नहीं मूंद सकते हैं, जिसने 416 ट्रेडमार्क आवेदन दायर किए हैं। इनमें से किसी भी ट्रेडमार्क के तहत कोई वास्तविक व्यवसाय नहीं कर रहे हैं।

न्यायालय ने प्रतिवादियों को इस आधार पर 'OSRAM' ट्रेडमार्क का उपयोग करने से रोक दिया कि वे ट्रेडमार्क की तस्करी / जमाखोरी में शामिल है। अदालत ने प्रतिवादियों को अपने ट्रेडमार्क आवेदन वापस लेने और मुकदमेबाजी लागत के एक हिस्से के रूप में 10 लाख रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने आगे ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार को 30 जून, 2022 तक प्रतिवादियों द्वारा दायर सभी निकासी आवेदनों की अनुमति देने का निर्देश दिया।

केस टाइटल: OSRAM GMBH बनाम तेजमीत सिंह सेठी और अन्य। सीएस (सीओएमएम) 2022 का 84

दिनांक: 03.06.2022

वादी के लिए वकील: एडवोकेट डाहलिया सेन ओबेरॉय और एडवोकेट मान्या कुमार

प्रतिवादी के लिए वकील: एडवोकेट निलॉय दासगुप्ता और एडवोकेट हेमंत दासवानी

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