दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को COVID-19 के 250 बेड वाले अस्पताल पर गलत जानकारी देने के लिए फटकार लगाई

Update: 2021-05-12 08:28 GMT

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में COVID-19 प्रबंधन संबंधित मुद्दों पर सुनवाई कर रही दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की खंडपीठ ने नई दिल्ली के द्वारका में इंदिरा गांधी अस्पताल में COVID-19 सुविधा से सज्जित 250 बेड के प्रबंध को लेकर गलत जानकारी देने के लिए आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की खिंचाई की। कोर्ट ने COVID-19 और उनकी देखभाल के कारण अनाथ बच्चों के साथ काम करने और राजस्थान राज्य में पकड़े गए टैंकरों पर भी ध्यान दिया।

दिल्ली सरकार ने शनिवार को इस मामले की सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया था कि इंदिरा गांधी अस्पताल में द्वारका में 250 बेड का COVID-19 अस्पताल बनाया गया है। हालाँकि, यह गुरुवार को इस पर वाईपी सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि अभी अस्पताल में COVID-19 की सुविधा नहीं पहुंची है।

अदालत द्वारा सत्यापन करने पर यह पता चला कि यह सुविधा अभी तक कुछ गड़बड़ियों के कारण चालू नहीं हुई है, जिस पर अदालत ने सरकार को एक मुद्दे की स्थिति पर गलत जानकारी प्रदान करने के लिए फटकार लगाई।

अदालत ने आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली सरकार की खिंचाई की और पूछा कि उसने शनिवार को अदालत को क्यों बताया कि यह सुविधा कार्यात्मक है, जबकि मंगलवार को 72 घंटे के बाद भी यह क्रियाशील नहीं है।

पीठ को सूचित किया गया कि अंतिम समय में यह ध्यान में आया है कि ऑक्सीजन सिलेंडर के उपयोग के लिए PESO प्रमाणन आवश्यक है। इसलिए इस सुविधा को चालू नहीं किया जा सका।

सरकार की खिंचाई करते हुए अदालत ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उसके अधिकारी गलत बयान न दें, क्योंकि इस तरह से एक समय में लोगों को गंभीर असुविधा हो सकती है।

अनाथ बच्चे

COVID-19 के कारण जान गंवाने वाले या अस्पताल में भर्ती लोगों के अनाथ हुए बच्चों के मुद्दे पर एडवोकेट प्रभसहाय कौर ने बताया कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी पहले से ही इस मुद्दे पर ऑनलाइन काम कर रही है। साथ ही सड़कों पर रहने वाले लोग भी इसका परीक्षण कर रहे हैं, क्योंकि कोई परीक्षण या अन्य सुविधा उन्हें उपलब्ध नहीं है।

दिल्ली सरकार ने प्रस्तुत किया कि बच्चों की मदद के बारे में अंग्रेजी में विज्ञापन दिए गए हैं और हेल्पलाइन 1098 भी चालू है।

कोर्ट ने एडवोकेट कौर को एक विज्ञापन के साथ आने और उसे अदालत के सामने पेश करने के लिए कहा। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के लिए विज्ञापन हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में बनाए जाने चाहिए।

राजस्थान में टैंकर लगे

राजस्थान में अटके दिल्ली के लिए लाने वाले ऑक्सीजन टैंकरों के राजस्ठान में अटक जाने का मुद्दा भी कोर्ट के सामने लाया गया।

इस पर सीनियर एडवोकेट एस. राहुल मेहरा ने अदालत को सूचित किया,

"अब इसे छोड़ दिया जा सकता है, क्योंकि केंद्र सरकार अब हर चीज का ध्यान रख रही है - टैंकर, कंटेनर, आदि। हम पहले से बेहतर स्थिति में हैं।"

एमिक्स क्यूरी सीनियर एडवोकेट राजशेखर राव ने बताया कि टैंकरों को केवल रोका नहीं गया है, बल्कि राजस्थान द्वारा उपयोग किया जा रहा है। इस पर न्यायालय ने निर्देश दिया कि केंद्र द्वारा इस आशय का एक आधिकारिक बयान दर्ज किया जाए।

केंद्र की ओर से पेश हुए निधि मोहन पराशर ने कहा,

"हमारी तरफ से अंतिम सूचना यह है कि हमने राजस्थान को टैंकर वापस करने के लिए लिखा है, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया।"

अदालत ने उन्हें उस मामले में प्रारंभिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया, लेकिन कहा कि इस मुद्दे को किसी दूसरे तरीके से बंद करना होगा।

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