दिल्ली हाईकोर्ट ने बीसीआई से AIBE एग्जाम के लिए 'प्री-सेट शेड्यूल' पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा

Update: 2023-01-06 06:56 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के संचालन के लिए 'प्री-सेट शेड्यूल' (पूर्व निर्धारित कार्यक्रम) पर एक और स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह को BCI की ओर से पेश वकील ने अवगत कराया कि AIBE 2023 एग्जाम 5 फरवरी को आयोजित होने वाली है और परिणाम अप्रैल से पहले जारी होने की उम्मीद है।

अदालत ने पिछले महीने बीसीआई को एआईबीई के संचालन के लिए "पूर्व निर्धारित कार्यक्रम" पर विचार करने के लिए भी कहा ताकि द्विवार्षिक एग्जाम की तारीखों के बारे में अनिश्चितता को हल किया जा सके और अस्थाई रूप से नामांकित वकील तदनुसार तैयारी कर सकें।

सुनवाई के दौरान, BCI के वकील ने अदालत को अवगत कराया कि काउंसिल द्वारा 30 दिसंबर, 2022 को प्रस्ताव पारित किया गया, साथ ही आगामी AIBE एग्जाम के कार्यक्रम की अधिसूचना भी जारी की गई।

इस पर विचार करते हुए अदालत ने कहा,

“एग्जाम के लिए अधिसूचना के अवलोकन से पता चलता है कि यह 5 फरवरी, 2023 को आयोजित किया जाना है। प्रस्ताव में यह भी दर्ज है कि परिणाम अप्रैल, 2023 से पहले जारी किए जाएंगे और इस प्रकार BCI द्वारा 2 साल की अवधि में [अखिल भारतीय बार परीक्षा नियमों के नियम 9 से] गिने जाने से 31 अक्टूबर, 2022 से अप्रैल, 2023 की पूरी अवधि छोड़ दी गई है।

नियम कहता है कि एडवोकेट एक्ट, 1961 के तहत नामांकित कोई भी वकील तब तक प्रैक्टिस करने का हकदार नहीं होगा जब तक कि ऐसा वकील BCI द्वारा आयोजित AIBE एग्जाम सफलतापूर्वक पास नहीं कर लेता। एग्जाम उस वकील द्वारा हर हाल में पास करना है, जो पिछले दो वर्षों के भीतर इनरोल हुआ है।

एग्जाम के लिए पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के निर्देश के संबंध में BCI के वकील ने यह भी कहा कि काउंसिल की अगली बैठक में इस पर विचार किया जाएगा।

अदालत ने आदेश दिया,

"BCI को आगे की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए मामला 4 मई को सूचीबद्ध करें।"

अदालत 19 नवंबर, 2019 को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) में नामांकित वकील निशांत खत्री द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उनकी यह दलील है कि AIBE का एग्जाम पास नहीं करने के कारण उन्हें अदालतों में प्रैक्टिस करने से प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए।

जस्टिस सिंह ने पिछली सुनवाई में एग्जाम में देरी पर विचार करते हुए स्पष्ट किया था कि याचिकाकर्ता-वकील को अपने अस्थाई रजिस्ट्रेशन पर भरोसा करने और अगले आदेश तक अदालतों में पेश होने से वंचित या अयोग्य घोषित नहीं किया जाएगा।

केस टाइटल: निशांत खत्री बनाम बीसीआई

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