दिल्ली हाईकोर्ट ने हत्या के आरोपी को पीएचडी क्लासेस में भाग लेने के लिए अंतरिम जमानत देने से इनकार किया, कहा- शैक्षिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए न्यायिक हिरासत में विकल्प उपलब्ध
दिल्ली हाईकोर्ट ने कथित अपराध की गंभीरता और शिकायतकर्ता को धमकी दिए जाने के आरोपों को ध्यान में रखते हुए नियमित पीएचडी क्लासेस को आगे बढ़ाने के लिए अंतरिम जमानत के लिए हत्या के आरोपी की प्रार्थना खारिज कर दी।
कोर्ट ने कहा,
"निस्संदेह, प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, लेकिन वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत दंडनीय गंभीर अपराध का आरोपी है और अपराध की गंभीरता को देखते हुए उसके साथ तदनुसार निपटा जाना चाहिए।"
अन्य व्यवहार्य विकल्पों की बात करते हुए अदालत ने कहा,
"मैं यह समझने में असफल रहा कि याचिकाकर्ता ने ऐसी यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने का विकल्प क्यों चुना, जिसके लिए न्यायिक हिरासत में होने के बावजूद अनिवार्य रूप से पूर्णकालिक पीएचडी प्रोग्राम में भाग लेना आवश्यक है, जबकि न्यायिक हिरासत में रहने वाले व्यक्तियों के लिए उनके शैक्षिक लक्ष्य के लिए कई अन्य विकल्प उपलब्ध हैं।"
इसमें आगे कहा गया कि अगर पीएचडी क्लासेस में भाग लेने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा होती तो स्थिति अलग होती, लेकिन जिस यूनिवर्सिटी में आरोपी ने आवेदन किया है, उसने उसे अस्वीकार कर दिया।
जस्टिस रजनीश भटनागर ने निर्णय पर पहुंचने में माना कि मुकदमा शुरू नहीं हुआ और मामला आरोप पर बहस के चरण में लंबित है।
इन परिस्थितियों में यह टिप्पणी की गई कि 3 महीने की अंतरिम जमानत से सुनवाई में बाधा आएगी।
विशेष रूप से, याचिकाकर्ता ने आईपीसी की धारा 302 और 307 सपठित धारा 34 के तहत दर्ज एफआईआर में अंतरिम जमानत की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
उन्होंने आग्रह किया कि उन्हें गुजरात यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए नियमित क्लासेस में भाग लेने की आवश्यकता है। इससे पहले उन्हें पीएचडी के लिए एडमिशन एग्जाम (जिसे उन्होंने पास कर लिया था) में शामिल होने के लिए 7 दिनों की अंतरिम जमानत दी गई थी।
दूसरी ओर, राज्य ने कहा कि याचिकाकर्ता ने ट्रायल कोर्ट को सूचित नहीं किया कि वह नियमित पीएचडी प्रोग्राम के लिए नामांकन कर रहा है। यह भी तर्क दिया गया कि आवेदन जेल से बाहर निकलने और शिकायतकर्ता के साथ-साथ गवाहों को धमकाने की याचिकाकर्ता की चाल हो सकती है।
याचिकाकर्ता की ओर से रेबेका एम. जॉन, सीनियर एडवोकेट, एडवोकेट ऋषिकेश कुमार और नीलांजन डे उपस्थित हुए। राज्य की ओर से रघुइन्दर वर्मा, एपीपी उपस्थित हुए। शिकायतकर्ता की ओर से वरुण भारद्वाज, पुष्पेंद्र सिंह, लव दीक्षित और राहुल कसाना उपस्थित हुए।
केस टाइटल: वरुण बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली) और अन्य, जमानत आवेदन। 3589/2023
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