दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) नेता मनीष सिसोदिया द्वारा दायर दूसरी नियमित जमानत याचिका खारिज की।
दोनों मामलों में सिसौदिया फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
राउज़ एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने 20 अप्रैल को उनकी जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखने के बाद सिसोदिया को जमानत देने से इनकार किया।
सिसौदिया की ओर से वकील विवेक जैन, प्रवर्तन निदेशालय (ED) के विशेष वकील ज़ोहेब हुसैन और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अभियोजक पंकज गुप्ता hsM ugS।
ED और CBI दोनों मामलों में ट्रायल कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देने से इनकार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत से इनकार के खिलाफ सिसोदिया की समीक्षा याचिका भी खारिज कर दी थी। उनकी क्यूरेटिव याचिकाएं भी खारिज हो चुकी हैं।
CBI अभियोजक, पंकज गुप्ता ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि सिसोदिया PMLA Act के तहत जमानत देने की कठोरता को पूरा नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि सिसौदिया "राजनीतिक रसूख" वाले एक शक्तिशाली व्यक्ति हैं।
उन्होंने आगे तर्क दिया कि इस मामले में मुख्य आरोपी सिसौदिया भी समानता के हकदार नहीं
गुप्ता ने कहा कि आप नेता पर लगे आरोपों से पता चलता है कि प्रथम दृष्टया उनके द्वारा सबूतों को नष्ट करने और सत्ता के दुरुपयोग का मामला बनता है, जिससे जांच में बाधा आ सकती है।
मनीष सिसौदिया को पहली बार पिछले साल क्रमश: 26 फरवरी और 9 मार्च को CBI और ED ने गिरफ्तार किया था।
CBI द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में सिसौदिया और अन्य पर 2021-22 की उत्पाद नीति के संबंध में "सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से" लाइसेंसधारी पोस्ट टेंडर को लेकर 'सिफारिश' करने और 'निर्णय लेने' में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया।”
केंद्रीय एजेंसी ने यह भी दावा किया कि AAP नेता को इसलिए गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उन्होंने गोल-मोल जवाब दिए और सबूतों के सामने आने के बावजूद जांच में सहयोग करने से इनकार किया।
दूसरी ओर, प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया कि कुछ निजी कंपनियों को थोक व्यापार में 12 प्रतिशत का लाभ देने की साजिश के तहत उत्पाद शुल्क नीति लागू की गई थी। हालांकि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के मिनटों में ऐसी किसी शर्त का उल्लेख नहीं किया गया।
एजेंसी ने यह भी दावा किया कि थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए विजय नायर और साउथ ग्रुप के साथ अन्य व्यक्तियों द्वारा साजिश रची गई। एजेंसी के मुताबिक, नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की ओर से काम कर रहे थे।
दोनों मामलों में सिसौदिया की जमानत अर्जी विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल (अब स्थानांतरित) ने पिछले साल 31 मार्च और 28 अप्रैल को खारिज कर दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों मामलों में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार किया, जिसके बाद उन्होंने इन दोनों फैसलों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
पिछले साल 30 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को जमानत देने से इनकार किया था।