फिजिकल रिकॉर्ड्स की डी-क्लॉगिंग और डिजिटलीकरण सोचने के लिए अधिक जगह देता है: जस्टिस मुरलीधर
उड़ीसा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को रिकॉर्ड रूम डिजिटाइजेशन सेंटर (आरआरडीसी) की 'पहली वर्षगांठ' मनाई। कार्यक्रम का आयोजन ओडिशा न्यायिक अकादमी, कटक में किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट ई-समिति चेयरपर्सन डॉ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ थे। वह वर्चुअल मोड से शामिल हुए।
उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ जस्टिस एस मुरलीधर, हाईकोर्ट के अन्य जज और आरआरडीसी कमेटी के सदस्य कार्यक्रम में मौजूद रहे। जस्टिस मुरलीधर ने सभा को संबोधित भी किया।
चीफ जस्टिस मुरलीधर ने अपने भाषण में कहा कि हाईकोर्ट के सभी जजों और राज्य के सभी न्यायिक अधिकारियों ने रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन की पूरी प्रक्रिया में सहयोग किया, और आरआरडीसी को एक 'सेल्फ-फंक्शनिंग' संस्था बनाने में योगदान दिया।
हाईकोर्ट की पहलों का निरंतर समर्थन करने के लिए जस्टिस मुरलीधर ने राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने आरआरडीसी कर्मचारियों की भी सराहना की।
उन्होंने कहा कि आरआरडीसी का प्रयोग सीखने वाला रहा है। एक संस्था के रूप में हाईकोर्ट ने एक संस्था के रूप में समझा कि कैसे काम के माहौल बेहतर बनाया जा सकता है?
उन्होंने कहा,
"मेरे सभी साथी मानेंगे कि हाईकोर्ट की शाखाओं में माहौल उल्लेखनीय रूप से सुधरा। जब तक हम उन शाखाओं में लगे रिकॉर्डों के ढेर को कम नहीं करते, उन्हें कामकाज का अच्छा माहौल नहीं दे सकते थे ।
आरआरडीसी के बेहतर कामकाज का अर्थ यह होगा कि हाईकोर्ट का कामकाज बेहतर होगा, कर्मचारी खुश होंगे, वह एक ऐसे माहौल में काम करेंगे, जहां अधिक जगह होगी, अधिक रोशनी और और अधिक हवा होगी, इस तरह सोचने के लिए अधिक जगह होगी।
हाईकोर्ट के अधिकांश कामकाज में सोचना शामिल है... इसलिए, एक ऐसा वातावरण बनाने की जरूरत है, जो काम करने के लिए आरामदायक हो और वास्तव में आरआरडीसी का निर्माण हाईकोर्ट में उस आरामदायक कामकाजी माहौल की आवश्यकता से शुरू हुआ था।"
जस्टिस मुरलीधर ने अपने भाषण में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र और सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति का अभार व्यक्त किया।
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