COVID-19- 'यह एक युद्ध जैसी स्थिति है, उन सभी के लिए अतिरिक्त स्ट्रेचर खरीदे जाएं जिन्हें उपचार की आवश्यकता है': मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2021-05-14 03:04 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार (13 मई) को कहा कि यह एक युद्ध जैसी स्थिति है, जहां इलाज की आवश्यकता लगभग सभी को है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि सरकारी अस्पतालों द्वारा अतिरिक्त स्ट्रेचर उन सभी के लिए खरीदे जाएं जिन्हें उपचार की आवश्यकता है।

मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने मंगलवार फिर से तमिलनाडु और पुडुचेरी राज्य में COVID-19 प्रतिक्रिया की निगरानी से संबंधित खुद से लिए गए स्वत: संज्ञान याचिका पर विचार किया।

वैक्सीन

कोर्ट ने कहा कि राज्य में टीकाकरण की कमी है और हालांकि एक वैश्विक निविदा के लिए निर्णय लिया गया और इसके साथ ही वैश्विक रूप से निविदा आदि के लिए राज्य के निर्णय को इस राज्य को केंद्र द्वारा किए जाने वाले आवंटन के मद्देनजर डायवर्ट न किया जाए। विशेष रूप से यह एक लंबी अवधि की प्रक्रिया हो सकती है।

दवाओं की आपूर्ति

कोर्ट ने नोट किया कि फिलहाल दवाओं की अनुपलब्धता पर बहुत अधिक शोर-शराबा नहीं दिखता है, खासकर जब से रेमडेसिविर की मांग कम हुई। मांग कम होने की वजह यह है कि जनता के इस बात से जागरूक हो गई है कि इस दवा का सीमित प्रभाव है, यह दवा जीवन नहीं हो सकता है।

ऑक्सीजन की आपूर्ति

न्यायालय ने कहा कि राज्य को ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रति दिन 519 मीट्रिक टन तक बढ़ाई गई है, लेकिन पलक्कड़ से दक्षिणी और पश्चिमी जिलों में 40 मीट्रिक टन की आपूर्ति मंगलवार से रोक दी गई है और यह तब से चिंता का विषय बन गया है। चेन्नई के पास की इकाइयों से दक्षिणी जिलों में आपूर्ति को प्रभावित करना मुश्किल है।

पुडुचेरी की स्थिति

कोर्ट ने कहा कि पुडुचेरी में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति है, हालांकि पुडुचेरी में बेड की संख्या बढ़ाने की जरूरत है।

कोर्ट ने पुडुचेरी से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा कि,

" डॉक्टरों की टीम गठन करने की जरूरत है जो मरीजों को यह सलाह दें कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होने या आगे की सहायता की आवश्यकता है या उन्हें घरेलू परिस्थितियों में ठीक होने की अनुमति है। पुडुचेरी में मोबाइल कैंप सहित कैंप लगाया जा रहा है। इसके माध्यम से सरकारी अस्पतालों के अलावा विभिन्न केंद्रों पर टेस्ट किया जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि टीकों की पर्याप्त आपूर्ति की जरूरत है और इसके साथ ही जिन्हें वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है उनके लिए दूसरी डोज का भी इंतजाम करना है।"

कोर्ट ने महत्वपूर्ण रूप से कहा कि कुल मिलाकर ये है कि अब चीजें नियंत्रण में हैं, हालांकि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि भविष्य में तेजी से बढ़ते मामलों को नियंत्रित किया जाए।

कोर्ट ने निर्देश दिया कि,

"टीकाकरण की उचित कीमत निर्धारित करने के लिए लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है और लोगों के बीच जागरूकता पैदा की जाए कि विशेष रूप से गैर-शहरी क्षेत्रों में जीवन बचाने के लिए टीका लेने की आवश्यकता।"

न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य और यहां तक कि केंद्रशासित प्रदेश द्वारा हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोविड रोगियों के लिए उपलब्ध बेड की संख्या बढ़ाने के लिए परित्यक्त या अप्रयुक्त स्थानों को मेक-शिफ्ट अस्पतालों में बदल दिया जाए।

राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण और पुडुचेरी कानूनी सेवा प्राधिकरण को सभी सुधार गृहों में स्वच्छता और कोविड प्रोटोकॉल और रोगियों के इलाज के उपायों की निगरानी करने के लिए निर्देशित किया गया।

कोर्ट ने अंत में देखा कि शवों को देने के लिए कुछ स्थानों पर भारी मात्रा धन की मांग की जा रही है और इसके साथ ही श्मशान में भी व्यक्तियों द्वारा कोविड मृतकों का अंतिम संस्कार करने के लिए अधिक धन की मांग करने की खबरें आ रही हैं।

कोर्ट ने कहा कि,

"जब सरकारी अस्पतालों में जगह उपलब्ध नहीं होती है तो आम व्यक्ति निजी अस्पतालों में भर्ती हो जाता है और निजी अस्पतालों में इलाज के लिए अधिक धन लिए जा रहे हैं। इससे आम लोगों को अतिरिक्त लागत का बोझ महसूस कर रहा है। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए संतोषजनक कार्यों के अलावा इन क्षेत्रों पर नजर रखी जानी चाहिए ताकि आम आदमी पर बोझ न पड़े।"

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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