(COVID19), लोगों को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि स्थिति में सुधार हुआ है और जीवन सामान्य हो सकता है : त्रिपुरा हाईकोर्ट
त्रिपुरा हाईकोर्ट ने मंगलवार (06 अक्टूबर) को कहा है कि राज्य के लोगों को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि कोरोना वायरस प्रसार में आकस्मिक सुधार हुआ है और अब जीवन सामान्य हो सकता है।
मुख्य न्यायाधीश अकिल कुरैशी और न्यायमूर्ति सुभाषिश तालपात्रा की खंडपीठ ने एक याचिका पर (हाईकोर्ट द्वारा लिए गए स्वत संज्ञान के बाद जनहित याचिका की प्रकृति में) सुनवाई करते हुए त्रिपुरा राज्य में कोरोनावायरस के प्रसार की स्थिति और संबंधित मुद्दों पर विचार किया था।
न्यायालय ने 11 सितम्बर 2020, 18 सितम्बर 2020 और 28 सितम्बर 2020 को विस्तृत आदेश पारित किए गए थे। इन आदेशों में हाईकोर्ट द्वारा उठाए गए प्रश्नों का जवाब देने के लिए राज्य सरकार ने हलफनामे दायर किए थे,जिनमें कोर्ट के सवालों के जवाब में दस्तावेज व अन्य तथ्य पेश किए थे।
मंगलवार (06 अक्टूबर) को पीठ ने इस मामले में दी गई दलीलों से उभरकर आए विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की।
इस चर्चा के बाद, न्यायालय ने कुछ क्षेत्रों को इंगित किया ,जिन पर आगे विचार करने और सरकार की तरफ से जवाब दायर करने की जरूरत है। वे इस प्रकार हैंः
ए- न्यायालय का अवलोकन - भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना वायरस से संक्रमित होने की संभावना से व्यक्तियों को बचाने के लिए सबसे अच्छा उपाय है,जो वायरस के प्रसार को कम करेगा।
जब तक वैक्सीन नहीं मिल जाती है या जब तक इस रोग को ठीक करने वाली दवा नहीं मिल जाती है, तब तक यही उचित माना जाएगा कि सार्वजनिक स्थान व भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मास्क पहनना ही सबसे अच्छी एहतियात है जो प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अपनाई जा सकती है।
राज्य को निर्देश-यह सुनिश्चित किया जाए कि यह एहतियात कम से कम भीड़भाड़ वाले स्थानों जैसे बाजारों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर जरूर बरती जाए।
बी-न्यायालय का अवलोकन - विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की,जिसमें कई सिफारिशें शामिल हैं। इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य प्रशासन की कुछ कमियों को भी इंगित किया गया है और बेहतर प्रबंधन के लिए सिफारिश की गई है।
परंतु अंतिम रिपोर्ट में केंद्रीय समिति द्वारा की गई कुछ सिफारिशों का अनुपालन अभी या तो किया नहीं गया है या अगर उनका अनुपालन हुआ है तो इस कार्रवाई की रिपोर्ट में उनके बारे में बताया नहीं गया है।
विशेष रूप से, केंद्रीय समिति ने इंगित किया था कि कुछ महत्वपूर्ण उपकरण जैसे वेंटिलेटर और एक्स-रे और सीटी चेस्ट मशीन या तो स्थापित नहीं की गई थी या वो काम करने की स्थिति में नहीं थी।
राज्य को निर्देश- अगली कार्रवाई की रिपोर्ट में, सटीक या असल स्थिति स्पष्ट रूप से बताई जाए।
सी- न्यायालय का अवलोकन - रिकॉर्ड से पता चलता है कि कोरोनोवायरस से निपटने के प्रारंभिक चरण में, सरकार को चिकित्सा उपकरण जैसे पीपीई किट, मास्क आदि की खरीद में एक बुरा अनुभव हुआ था। वहीं आंतरिक समितियों का गठन किया गया था।
राज्य की तरफ से दायर रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया यह पता चलता है कि न केवल सामग्री की आपूर्ति के लिए एजेंसी द्वारा अतिरिक्त शुल्क की मांग की गई है, बल्कि कुछ मामलों में सप्लाई की गई सामग्री की गुणवत्ता भी खराब पाई गई थी।
राज्य को निर्देश- यह बताया जाए कि इस खराब गुणवत्ता वाली सामग्री का क्या किया गया। महाधिवक्ता ने बताया है कि कोरोनोवायरस उपचार करने वाले कर्मचारियों और रोगियों के लिए इस सामग्री का उपयोग नहीं किया जा रहा है। अगले हलफनामे में, इस संबंध में सटीक विवरण बताया जाए।
डी-न्यायालय का अवलोकन - सरकार ने हाल ही में किए गए टेस्टों की संख्या, पाॅजिटिव पाए गए व्यक्तियों और सकारात्मकता दर का आंकड़ा उपलब्ध कराया था।
आगे के आंकड़े सार्वजनिक डोमेन में कार्यालय और समाचार बुलेटिन के माध्यम से उपलब्ध हैं। इन आंकड़ों की तुलना से पता चलता है कि समय के साथ-साथ हर दिन किए जाने वाले टेस्टों की संख्या में काफी कमी आई है।
इसलिए, यदि हाल के दिनों में प्रति दिन पाए गए सकारात्मक मामलों की कुल संख्या को कम किए गए टेस्टों की संख्या के साथ सहसंबद्ध किया जाता है, तो राज्य के लोगों को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि कोरोनावायरस प्रसार में आकस्मिक सुधार हुआ है और अब जीवन सामान्य होने जा रहा है। यह गंभीर गलती होगी,जिसके गंभीर परिणाम होंगे।
कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया है कि वह मामले की अगली सुनवाई पर ऊपर दिए गए सभी पहलुओं को शामिल करते हुए एक हलफनामा दायर करे।
विशेष रूप से, सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह केंद्रीय समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर आगे की कार्रवाई की रिपोर्ट दायर करे।
इस मामले में अब अगली सुनवाई मंगलवार (13 अक्टूबर) को होगी।
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें